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अफगान धरती का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे टीटीपी और बीएलए, पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी का दावा

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दावा किया है कि तालिबान नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) आतंकी हमलों के लिए नहीं कर पाएंगे।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 22 Oct 2021 10:00 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 10:00 PM (IST)
अफगान धरती का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे टीटीपी और बीएलए, पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी का दावा
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ।

इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दावा किया है कि तालिबान नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) आतंकी हमलों के लिए नहीं कर पाएंगे। उल्लेखनीय है कि दोनों संगठन पाकिस्तान में हमले कर वहां के सरकारी प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाते हैं। दोनों संगठनों को पाकिस्तान ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है लेकिन दोनों का ताल्लुक अफगानिस्तान के तालिबान से है।

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कुरैशी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने गुरुवार को काबुल का गुपचुप दौरा किया। वहां पर उन्होंने अंतरिम प्रधानमंत्री मुल्ला मुहम्मद हसन अखुंद और तालिबान प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ वार्ता की। दोनों ने युद्ध से बर्बाद अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता कायम होने की इच्छा से सभी को अवगत कराया। इस दौरान हुई वार्ता में अखुंद ने कुरैशी को अफगानिस्तान की धरती से टीटीपी और बीएलए की गतिविधियां न होने देने के लिए आश्वस्त किया। 15 अगस्त को तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद दोनों ही संगठनों ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में कई हमले किए हैं। दोनों संगठनों ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कारिडोर के कार्यस्थलों पर हमले किए हैं।

आइएस ने अफगानिस्तान में कई बड़े हमले करके सैकड़ों लोगों की हत्या की

काबुल से लौटकर इस्लामाबाद में प्रेस कान्फ्रेंस में कुरैशी ने कहा, अफगान सरकार ने उन्हें स्पष्ट आश्वासन दिया है कि आतंकी संगठनों को अफगानिस्तान की धरती के इस्तेमाल की इजाजत नहीं होगी। विश्वास है कि ऐसा होगा और उससे पाकिस्तान को बहुत राहत मिलेगी। दोनों देशों के नेताओं की वार्ता में आतंकी संगठन आइएस के अफगानिस्तान में सक्रिय होने और उसके चलते रूस और ईरान की चिंताओं पर भी चर्चा हुई। उल्लेखनीय है कि आइएस ने 15 अगस्त के बाद अफगानिस्तान में कई बड़े हमले करके सैकड़ों लोगों की हत्या की हैं।


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