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पाक के दमन के खिलाफ PoK में उतरे हजारों लोग, पुलिस कार्रवाई में एक की मौत, कई घायल

पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर में गुरुवार को हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने की पुलिसिया कार्रवाई पर विरोध जताया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 11:12 PM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 01:19 AM (IST)
पाक के दमन के खिलाफ PoK में उतरे हजारों लोग, पुलिस कार्रवाई में एक की मौत, कई घायल
पाक के दमन के खिलाफ PoK में उतरे हजारों लोग, पुलिस कार्रवाई में एक की मौत, कई घायल

 मुजफ्फराबाद, एएनआइ। पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर में गुरुवार को हजारों लोगों ने सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने की पुलिसिया कार्रवाई पर विरोध जताया। यह शांतिपूर्ण आंदोलन 22 अक्टूबर को हुआ था, दमनात्मक कार्रवाई में एक आंदोलनकारी की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे।

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1947 से जारी है दमन का सिलसिला

आंदोलनकारियों के अनुसार पुलिस के दमन की कार्रवाई सरकार की ताकत के बल पर आवाज दबाने की नीति का क्रियान्वयन है। रह-रहकर यह सिलसिला 1947 से जारी है, जब पाकिस्तानी बलों ने जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण कर पाकिस्तान से सटे कश्मीर के हिस्से पर कब्जा कर लिया था।

नेशनल स्टूडेंट्स फेडरेशन के नेता अफजल सुलेरिया ने कहा, 1947 में हुए हमले में हमारी धरती बंट गई थी। इतिहास फिर खुद को दोहरा रहा है। हिंसा से हालात बिगड़ रहे हैं। भारत के साथ हो रही गोलीबारी में मकान ध्वस्त हो रहे हैं। पाकिस्तानी बल महिलाओं का उत्पीड़न कर रहे हैं। बच्चों को लाठियों से पीटा जा रहा है। निर्दोषों पर हमले हो रहे हैं। ऐसे ही एक निर्दोष आंदोलनकारी असलम अब्बासी को बेवजह मार डाला गया। मामले में कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ, कोई जांच नहीं हुई। किसने मारा-क्यों मारा, इसका किसी के पास जवाब नहीं है।

22 अक्‍टूबर को सभी पार्टियों ने मनाया था काला दिवस

गुलाम कश्मीर की सभी स्वतंत्र पार्टियों की ओर से 22 अक्टूबर को आजादी की मांग को लेकर जुलूस निकाला गया था। सभी दल 22 अक्टूबर को काला दिवस मनाते हैं क्योंकि 1947 में पाकिस्तान ने इसी दिन जम्मू-कश्मीर पर हमलाकर कश्मीर के इस हिस्से को गुलाम बनाया था।

13 नवंबर को दी जाएगी बलोच शहीदों को श्रद्धांजलि

फ्री बलूचिस्तान मूवमेंट (एफबीएम) ने 13 नवंबर को ऑस्टि्रया, जर्मनी और कनाडा में आंदोलन के दौरान शहीद हुए साथियों की याद में श्रद्धांजलि समारोह आयोजित करने का फैसला किया है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में सेना के अत्याचार और सरकार के भेदभाव के विरोध में दशकों से आंदोलन चल रहा है। इस आंदोलन में हजारों लोग लापता हो गए हैं, मारे गए हैं या देशद्रोह के आरोप में कैद में हैं। 1947 से ही बलोच आबादी आजादी की मांग कर रही है।


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