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शरीफ को लेकर आमने-सामने इमरान और सुप्रीम कोर्ट, PM पद की गरिमा का ख्‍याल रखें

इमरान ने कहा था कि न्‍यायपालिका का बर्ताव शक्तिशाली लोगों के लिए अलग होता है।खोसा ने इमरान से अदालत पर कटाक्ष नहीं करने की सलाह दी।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 12:05 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 12:05 PM (IST)
शरीफ को लेकर आमने-सामने इमरान और सुप्रीम कोर्ट, PM पद की गरिमा का ख्‍याल रखें
शरीफ को लेकर आमने-सामने इमरान और सुप्रीम कोर्ट, PM पद की गरिमा का ख्‍याल रखें

इस्‍लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्‍तान की सर्वोच्‍च अदालत ने प्रधानमंत्री इमरान खान को संभलकर बयान देने की सलाह दी है। इमरान ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बिना ब्रॉन्‍ड भरे लंदन जाने की इजाजत मिलने पर अदालत पर टिप्‍पणी की थी। इमरान ने कहा था कि न्‍यायपालिका का बर्ताव शक्तिशाली लोगों के लिए अलग होता है। उस पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा ने इमरान से अदालत पर कटाक्ष नहीं करने की सलाह दी थी। 

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दरअसल, लाहौर हाई कोर्ट ने इमरान खान सरकार की 700 करोड़ रुपये का बॉन्‍ड भरने की शर्त को दरकिनार कर शरीफ को इलाज कराने के लिए विदेश जाने की अनुमति दी थी। इसे लेकर सरकार और अदालत के बीच मतभेद उभरे थे। इमरान ने इमरान ने सोमवार को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के हवेलियां में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा और वरिष्ठ न्यायाधीश गुलजार अहमद से जनता के बीच न्यायपालिका के प्रति भरोसा बहाल करने के लिए आगे आने का आग्रह किया था। खान ने यह भी कहा था कि देश की न्यायिक प्रणाली में शक्तिशाली और आम लोगों के साथ व्यवहार में कथित असमानता है।

कोर्ट के लिए काम करने का खान ने दिया था भरोसा 

अदालत को लेकर लोगों की सोच बदलने की बात करते हुए इमरान ने कहा था कि वह खुद पहल करके  इसके लिए काम करने को तैयार हैं। इमरान ने कहा था कि वह इस धारणा को बदलने और संस्थानों के प्रति जनता के विश्वास को बहाल करने के लिए न्यायपालिका का साथ देने के लिए तैयार हैं।

क्‍या कहा चीफ जस्टिस ने

'प्रधानमंत्री सरकार का मुख्‍य कार्यकारी है इसलिए उसको ऐसे बयान देने से बचना चाहिए। आदरणीय प्रधानमंत्री ने जिस विशेष मामले का जिक्र किया, मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। प्रधानमंत्री खान को यह पता होना चाहिए कि उन्होंने खुद ही नवाज शरीफ को विदेश जाने की अनुमति दी। हाईकोर्ट में सिर्फ तौर-तरीके पर सुनवाई हुई। कृपया बयानों को लेकर सावधान रहें।' 


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