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पाकिस्तान में जबरन धर्मातरण रोकने वाला कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू

अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के मामलों से अंतरराष्ट्रीय पटल पर बिगड़ी अपनी छवि को सुधारने की नीयत से पाकिस्तान ने शनिवार को बड़ा प्रयास शुरू किया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 10:41 PM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 10:41 PM (IST)
पाकिस्तान में जबरन धर्मातरण रोकने वाला कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू
पाकिस्तान में जबरन धर्मातरण रोकने वाला कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू

इस्लामाबाद, प्रेट्र। अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के मामलों से अंतरराष्ट्रीय पटल पर बिगड़ी अपनी छवि को सुधारने की नीयत से पाकिस्तान ने शनिवार को बड़ा प्रयास शुरू किया। जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर रोक लगाने और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए 22 सदस्यीय संसदीय समिति गठित की गई है। मुस्लिम बहुल पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और जबरन धर्म परिवर्तन कराने के लिए बदनाम है।

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समिति का किया गया गठन 

सीनेट सचिवालय से जारी अधिसूचना के मुताबिक चेयरमैन सादिक संजरानी ने नेशनल असेंबली के चेयरमैन असद कैसर, सीनेट में सदन के नेता शिब्ली फराज और विपक्ष के नेता राजा जफरुल हक से सलाह-मशविरे के बाद समिति का गठन किया है। समिति में पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी, मानवाधिकार मामलों की मंत्री शिरीन मजारी और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अली मुहम्मद खान भी हैं। इसके अतिरिक्त समिति में हिंदू सांसद अशोक कुमार को भी रखा गया है। समिति के अन्य सदस्यों में मलिक मुहम्मद आमिर डोगर, सुनीला रथ, जयप्रकाश, लालचंद, मुहम्मद असलम भूटानी, राणा तनवीर हुसैन, डॉ. दर्शन केशूमल खयाल दास, शगुफ्ता जुमानी, रमेश लाल, नवीद आमिर जीवा और अब्दुल वसी शामिल हैं। समिति कितने दिनों में अपना प्रस्ताव बनाकर देगी और उसकी बैठकों का कार्यक्रम अभी घोषित नहीं हुआ है।

कई घटनाओं से पाकिस्‍तान की हुई बदनामी 

इस समिति का गठन सिंध प्रांत में एक हिंदू लड़की के अपहरण और उसे जबरन इस्लाम धर्म ग्रहण कराकर उससे शादी करने की घटना के कुछ हफ्तों बाद हुआ है। सितंबर में हुई यह घटना सुर्खियों में आई थी और इसकी व्यापक निंदा और विरोध हुआ था। पाकिस्तान में इस तरह की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। प्रभावी कानून न होने से इन घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ कुछ खास नहीं हो पाता।

जुलाई में सिंध की विधानसभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर हिंदू लड़कियों के अपहरण और उनके जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने और इस तरह की घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग सरकार से की। इससे पहले पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बीते साल में सिंध प्रांत में एक हजार हिंदू और ईसाई लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन कर उनसे शादी करने की घटनाओं की जानकारी दी थी।


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