पर्ल मामले में पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट से सिंध सरकार की याचिका खारिज
सिंध उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले में ब्रिटेन में जन्मे अल-कायदा के आतंकवादी की मौत की सजा को दो अप्रैल को पलट दिया था।
इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सिंध सरकार की एक याचिका खारिज कर दी, जिसमें अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल मामले में हाई कोर्ट के फैसले को स्थगित करने की मांग की गई थी। सिंध उच्च न्यायालय ने पर्ल के अपहरण और हत्या मामले में अल-कायदा के आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख और उसके तीन सहयोगियों को दी गई सजा के फैसले को पलट दिया था। वॉल स्ट्रीट जर्नल के दक्षिण एशिया के ब्यूरो प्रमुख पर्ल 2002 में पाकिस्तान में देश की शक्तिशाली खुफिया एजेंसी आइएसआइ और अल-कायदा के बीच संबंधों की खबर को लेकर तथ्य जुटा रहे थे। उसी समय उनका अपहरण कर लिया गया और उनकी हत्या कर दी गई थी।
सिंध उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले में ब्रिटेन में जन्मे अल-कायदा के आतंकवादी की मौत की सजा को दो अप्रैल को पलट दिया था। 2002 में पर्ल के अपहरण और हत्या मामले में उसे सजा सुनाई गई थी। वह पिछले 18 वर्षो से जेल में है। अदालत ने उसके तीन सहयोगियों फहद नसीम, सलमान साकिब और शेख आदिल को भी बरी कर दिया, जो आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। चारों दोषियों द्वारा 18 वर्ष पहले दायर अपील पर पीठ ने यह फैसला सुनाया।
सिंध की सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी और दो मई को मारे गए पत्रकार के अभिभावकों ने भी दोषियों को बरी करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। सोमवार को चीफ जस्टिस गुलजार अहमद की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मामले की सुनवाई की। उच्चतम न्यायालय ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय के फैसले को स्थगित करने की सिंध सरकार की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि इसमें अप्रासंगिक धाराएं हैं।
रिकॉर्ड मांगकर सुनवाई अनिश्चित काल के लिए स्थगित की
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मंजूर मलिक ने कहा, हमें मामले से जुड़े सभी साक्ष्य उपलब्ध कराया जाना चाहिए। मैं सभी रिकॉर्डो को देखना चाहता हूं, ताकि सभी बिंदुओं को समझ सकूं। सिंध सरकार ने जब निचली अदालत का रिकॉर्ड पेश करने के लिए समय मांगा, तो सुप्रीम कोर्ट ने अनिश्चित काल के लिए सुनवाई स्थगित कर दी। उच्चतम न्यायालय ने सिंध सरकार के वकील फारूक एच नाइक को आदेश दिया कि अदालत को विस्तृत ब्योरा सौंपें, ताकि अदालत आगे की सुनवाई कर सके।