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TTP के साथ इमरान खान की पार्टी की वार्ता को लेकर सिंध असेंबली ने जताई आपत्ति

Pakistan News प्रतिबंधित पार्टी तहरीक ए तालिबान (TTP ) के साथ इमरान खान की अगुवाई वाली पार्टी PTI की वार्ता पर सिंध असेंबली ने आपत्ति जताई है। इसके खिलाफ बहुमत के साथ एक प्रस्ताव भी पारित किया गया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 11:55 PM (IST)Updated: Sun, 21 Nov 2021 12:10 AM (IST)
TTP  के साथ इमरान खान की पार्टी की  वार्ता को लेकर  सिंध असेंबली ने जताई आपत्ति
टीटीपी के साथ इमरान की पार्टी की वार्ता पर सिंध असेंबली को आपत्ति

कराची, एएनआइ।  पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इत्तिहाद (PTI) द्वारा प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-तालिबान  पाकिस्तान (TTP ) के साथ एकतरफा वार्ता करने पर सिंध असेंबली ने आपत्ति जताई है। इसके खिलाफ शुक्रवार को बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में मांग की गई है कि प्रतिबंधित संगठन के साथ बिना किसी को साथ लिए बातचीत करने के मुद्दे पर संसद के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर की आम सहमति बनाने के लिए सरकार सभी राजनीतिक दलों व हितधारकों को शामिल करे।

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असेंबली टीटीपी के साथ वार्ता का विरोध करती है। इमरान की पार्टी द्वारा ऐसी वार्ताओं का गुप्त आयोजन किया जा रहा है। इससे यह संकेत मिलता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर संसद को साथ नहीं लिया जा रहा। बता दें कि इसी संगठन ने 16 दिसंबर, 2014 में पेशावर स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल में हमला कर 132 बच्चों समेत 147 लोगों की हत्या कर दी थी। प्रस्ताव में कहा गया, 'देश में पिछले दो दशक के दौरान TTP ने हजारों निर्दोष व मासूमों की जान ली है जिसमें आम जनता, साहसी जवान, पुलिस अधिकारी शामिल हैं।

प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि प्रधानमंत्री अकेले ही TTP के साथ समझौता नहीं कर सकते क्योंकि यह देश हित से जुड़ा मामला है और इसपर संसद में चर्चा होनी चाहिए। डान के अनुसार पाकिस्तानी तालिबान जो इमरान खान के साथ वार्ता कर रही है उसेने अब तक 2014 पेशावर स्कूल पर किए गए हमले के लिए माफी नहीं मांगी है। पाकिस्तानी अखबार ने भी TTP के साथ इस वार्ता को लेकर सवाल उठाया है।

बता दें कि इसी माह की शुरुआत में तालिबान ने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित अफगानिस्तान के दूतावास में अपने काम काज की शुरुआत कर दी। दूतावास ने अपने फेसबुक पेज पर एक बयान में इसकी पुष्टि भी की। वैसे भी पाकिस्तान पर लंबे समय से आरोप लगते रहे हैं कि उसकी मदद से ही तालिबान की एक बार फिर अफगानिस्तान में वापसी हुई है।


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