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कश्मीर पर पाकिस्तान का एक और झूठ, कुरैशी बोले- भारत के कथन को कोई नहीं कर रहा स्वीकार

विश्व के हर मंच पर मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि कश्मीर पर भारत के कथन को कोई भी अंतरर्राष्ट्रीय समुदाय नहीं सुन रहा है।

By TaniskEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 09:40 AM (IST)
कश्मीर पर पाकिस्तान का एक और झूठ, कुरैशी बोले- भारत के कथन को कोई नहीं कर रहा स्वीकार
कश्मीर पर पाकिस्तान का एक और झूठ, कुरैशी बोले- भारत के कथन को कोई नहीं कर रहा स्वीकार

लाहौर, पीटीआइ। अगस्त में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान की बौखलाहट कम नहीं हो रही है। पाकिस्तान लगातार इसे लेकर झूठ बोलता रहता है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि कश्मीर पर भारत के कथन को कोई भी अंतरर्राष्ट्रीय समुदाय नहीं सुन रहा है। 

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करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले कुरैशी ने यह बात भारतीय पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत के दौरान कही। बता दें कि 5 अगस्त को भारत द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद पाकिस्तान इतना बौखला गया कि उसने भारत के साथ राजनयिक संबंध को कम कर दिया। 

पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब

यही नहीं अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान लगातार इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश करता रहा, लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली। विश्व के हर मंच पर वो मुंह की खाया है। दूसरी ओर भारत ने इसे आंतरिक मामला बताया और पाकिस्तान को जहां जरुरत पड़ी वहां मुंहतोड़ जवाब दिया।

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग

भारत ने हमेशा कहा है कि जम्मू और कश्मीर इसका अभिन्न अंग है और किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इन्कार करता है। भारत ने साफ कहा है कि यह पाकिस्तान के साथ उसका द्विपक्षीय मुद्दा है, जिसे सुलझाने के लिए किसी अन्य पक्ष की जरुरत नहीं है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि कश्मीर के लोग भारत सरकार की फैसले को लेकर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें लगता है कि यह इस क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन को प्रभावित करने के लिए किया गया।

भारत ने एकतरफा दृष्टिकोण अपनाया

कुरैशी से जब पूछा गया कि पाकिस्तान द्वारा गिलगित बाल्टिस्तान के प्रशासनिक ढांचे में संवैधानिक परिवर्तनों को लेकर किया गया फैसला सही और कश्मीर पर भारत का फैसला गलत कैसै है? इसे लेकर उन्होंने कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कि कैसे भारत ने एकतरफा दृष्टिकोण अपनाया, कश्मीरियों की आकांक्षाओं की अनदेखी की। भारत सरकार के इस फैसले के बाद दोनों देशों के बीच संबंध ऐसे स्तर पर आ गए हैं, जिससे हर समझदार व्यक्ति को डर लगता है। दो परमाणु सशस्त्र देश आमने-सामने आ गए। नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का लगातार उल्लंघन हो रहा है।  


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