पाकिस्तान की सियासत में आधी आबादी का दबदबा, इस बार सुर्खियों में रही ये महिलाएं
पाकिस्तान के नेशनल असेंबली चुनाव में महिलाआें ने भी अपना परचम लहराया है। यहां संवैधानिक रूप से महिलाओं को चुनाव में आरक्षण का प्रावधान है।
इस्लामाबाद [ एजेंसी ]। पाकिस्तान के चुनावी नतीजे यह बताते हैं कि यहां की सियासत में महिलाओं का अच्छा खासा दखल और दबदबा रहा है। पाकिस्तान के नेशनल असेंबली चुनाव में महिलाआें ने भी अपना परचम लहराया है। यहां संवैधानिक रूप से महिलाओं को चुनाव में आरक्षण का प्रावधान है। इतना ही नहीं इसका सख्ती के साथ पालन भी किया जाता है।
हालांकि, पाकिस्तान की सियासत में महिलाओं की हिस्सेदारी लंबे समय से रही है। बेनज़ीर भुट्टो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री भी रहीं। इसके अलावा नवाज़ शरीफ़ की बेटी मरियम शरीफ़ से लेकर पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार तक ने पाकिस्तान सत्ता के गलियारों में अपनी मजबूत पैंठ बनाई है। आइए जानते है कि महिला आरक्षण को लेकर पाकिस्तान में क्या है प्रावधान, इस बार क्यों सुर्खियों में रही ये महिलाएं।
महिलाओं को पांच फीसद टिकट देना अनिवार्य
पाकिस्तान में बाकायदा महिलाआें काे पांच फीसद आरक्षण प्राप्त है। पाकिस्तान के चुनाव अधिनियम 2017 की धारा 206 के मुताबिक़ सभी दलों को महिलाओं के लिए पांच फीसद टिकट देना अनिवार्य किया गया है। आयोग का एक नियम ये भी कहता है कि किसी चुनावी क्षेत्र में 10 फीसद से कम महिलाओं की भागीदारी हुई, तो चुनावी प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया जाएगा।
चुनावी दंगल में महिलाएं
नेशनल असेंबली की कुल 272 सीटों पर अलग-अलग राजनीतिक दलों ने कुल 171 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था। इनमें से पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने सबसे अधिक 19 महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा। दक्षिणपंथी दल मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल (एमएमए) ने 14 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया। इमरान की पार्टी पीटीआई ने 11 महिलाओं को टिकट दिया। इतना ही नहीं जमात-उद-दावा की अल्लाह-ओ-अकबर पार्टी ने भी तीन महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा था।
1- डॉक्टर फ़हमीदा मिर्ज़ा ने रचा इतिहास
सिंध प्रांत के बादिन सीट से नेशनल असेंबली की पूर्व स्पीकर डॉक्टर फ़हमीदा मिर्ज़ा ने लगातार 5वीं बार अपनी जीत दर्ज की है। फ़हमीदा मिर्ज़ा ग्रैंड डेमोक्रेटिक एलायंस (जीडीए) की उम्मीदवार थीं। फ़हमीदा पांचवीं बार पाकिस्तानी संसद का हिस्सा बनेंगी। एक ही सीट से पांच बार लगातार जीतने वाली फ़हमीदा पहली महिला उम्मीदवार बन गई हैं। उन्होंने पहली बार वर्ष 1997 में पीपीपी के टिकट पर नेशनल असेंबली का चुनाव जीता था। उसके बाद वे साल 2002, 2008 और 2013 में पीपीपी की उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतीं। इस वर्ष फ़हमीदा मिर्ज़ा पीपीपी का साथ छोड़ जीडीए के साथ जाने का फ़ैसला लिया था।
2- सुर्खियों में जुगनू मोहसिन
इन दिनों पाकिस्तान के सियासी हलचल में जुगनू मोहसिन सुर्खियों में हैं। दरअसल, नेशनल असेंबली के चुनाव में जुगनू पंजाब प्रांत से एक निर्दलीय उम्मीदवार थीं। उन्होंने इस सीट से जीत दर्ज की है। इसके पूर्व वह वर्ष 1999 में तब चर्चा में आईं थीं, जब उनके पति नजम सेठी को तत्कालीन नवाज़ शरीफ़ सरकार ने गिरफ्तार किया था। उस वक्त जुगनू ने पाकिस्तान में नवाज़ शरीफ़ सरकार के खिलाफ जबरदस्त मोर्चा खोल दिया था।
3- शम्स उन निसा ने रचा इतिहास
पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की उम्मीदवार शम्स उन निसा ने थाटा सीट से ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। उन्होंने पीटीआई के प्रत्याशी को भारी मतों से शिकस्त दिया। निसा को 1,52,651 मत मिले, वहीं पीटीआई प्रत्याशी अर्सलन बख़्श ब्रोही को महज 18,900 वोट मिले। निसा इस सीट से लगातार दो बार चुनाव जीत चुकी हैं। वर्ष 2013 के चुनाव में भी उन्होंने इस सीट पर जीत दर्ज की थी।
4- ज़रताज गुल ने सरदार ओवैस को दी मात
पाकिस्तान के दक्षिणी पंजाब से जीत दर्ज कर ज़रताज गुल नेशनल असेंबली में पहुंचने वाली चर्चित महिला हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने उनको यहां से उम्मीदवार बनाया था। उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग के सरदार ओवैस लेघर को पराजित किया। इस चुनाव में ज़रताज गुल को 79.817 मत हासिल हुए, जबकी सरदार ओवैस को 54.548 हजार मत मिले।