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पुलवामा, भारत और इमरान को लेकर पीपीपी चीफ बिलावल भुट्टो ने क्‍या कहा आप भी जानें

पाकिस्‍तान पिपुल्‍स पार्टी के प्रमुख और देश की पूर्व प्रधानमंत्री बेनेजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो का कहना है कि पुलवामा के बाद भारत पाकिस्‍तान को अलग-थलग करने में कामयाब रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 01:23 PM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 09:00 AM (IST)
पुलवामा, भारत और इमरान को लेकर पीपीपी चीफ बिलावल भुट्टो ने क्‍या कहा आप भी जानें
पुलवामा, भारत और इमरान को लेकर पीपीपी चीफ बिलावल भुट्टो ने क्‍या कहा आप भी जानें

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्‍तान के बीच रिश्‍ते काफी तनावपूर्ण हो गए हैं। इस हमले के बाद भारत ने कूटनीतिक स्‍तर पर पाकिस्‍तान को अलग-थलग रखने की कोशिश की है। इसमें वह काफी हद तक कामयाब भी हुआ है। यह हम नहीं बल्कि पाकिस्‍तान पिपुल्‍स पार्टी के प्रमुख और देश की पूर्व प्रधानमंत्री बेनेजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो कह रहे हैं। यह बात उन्‍होंने जर्मनी के अखबार डॉयचे वेले से एक इंटरव्‍यू के दौरान कही है। आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि पिछले माह ही पाकिस्‍तान की कोर्ट ने उनके विदेश जाने पर लगी रोक को हटाया था। इसके बाद जर्मनी मीडिया को उन्‍होंने यह इंटरव्‍यू दिया है। यह इंटरव्‍यू पुलवामा के बाद हुई स्थिति पर केंद्रित था।

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दूरियां बढ़ाने वाली राजनीति से रहें दूर
इस इंटरव्‍यू के दौरान उन्‍होंने पुलवामा हमले की निंदा की और कहा कि पीपीपी इस तरह की कार्रवाई में कोई यकीन नहीं रखती है। उनके मुताबिक वह भारत की भावनाओं को समझते हैं। हमले के बाद भारत काफी गुस्‍से और दुख में है। लेकिन उन लोगों से बचकर रहना चाहिए जो दोनों ही देशों में शांति नहीं देखना चाहते हैं। हालांकि इस दौरान उन्‍होंने एक बार फिर कश्‍मीर में जनमत संग्रह कराने की बात पर जोर देते हुए कहा कि इससे कश्‍मीर का आतंकवाद समाप्‍त हो जाएगा। बिलावल ने यहां तक कहा कि भारत और पाकिस्तान को ज्यादा वचनबद्ध होना चाहिए तो पिछले कुछ वर्षों से दिखाई नहीं दे रहा है। लिहाजा पाकिस्तान और भारत के शांति प्रेमियों के लिए यह और भी ज्यादा जरूरी है कि वे शांति पर जोर दें और हर तरह के आतंकवाद की निंदा करें।

आतंकवाद और कश्‍मीर बड़ा मुद्दा
दोनों देशों के बीच सबसे बड़े विवादित मुद्दों के बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा कि आतंकवाद समेत कश्‍मीर एक बड़ा मुद्दा है। हालांकि इस दौरान उन्‍होंने नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि उनके शासन में भारत धर्मनिरपेक्षता की भावना से अलग हो गया है। उनका कहना था कि भारत की सरकार ने पाकिस्तान के साथ शांति का कोई संजीदा प्रयास नहीं किया। उन्‍होंने इशारों ही इशारों में भारत में होने वाले आम चुनाव का भी जिक्र इस दौरान किया। उनका कहना था कि पीएम मोदी के पाकिस्‍तान पर आक्रामक होने की एक वजह ये भी हो सकती है। यहां पर आपको बता दें कि पाकिस्‍तान की तरफ से पुलवामा हमले को भारत में होने वाले आम चुनाव से जोड़ा जाता रहा है। पहले खुद पाकिस्‍तान पीएम ने अपने टीवी पर दिए संबोधन में इसका जिक्र किया था। इसके बाद पाक आर्मी की तरफ से प्रेस कांफ्रेंस में इस बात का जिक्र किया गया और अब इसका जिक्र बिलावल ने भी किया है।

धर्मनिरपेक्ष देश के तौर पर है भारत की पहचान
इस इंटरव्‍यू में पीपीपी चीफ ने माना कि भारत को उसकी धर्मनिरपेक्षता और सहिष्णुता के लिए जाना जाता है। भारत बड़ा और अमीर देश है, वह बड़ा लोकतंत्र है और उसके बड़े भाई की तरह व्यवहार करते हुए दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाना चाहिए। पाकिस्तान आगे बढ़ने को तैयार है। इस दौरान उन्‍होंने माना कि एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन की हत्या के बाद से ही खासतौर पर हमारा जनसंपर्क खराब हुआ है। जनता में भरोसे की कमी आई है। लिहाजा हम आरोपों से पल्ला नहीं झाड़ सकते। दुर्भाग्य से पुराने तानाशाहों ने पाकिस्तान की छवि को नुकसान पहुंचाया है और अब जाहिर तौर पर हम जो दावा करते हैं, दुनिया उसका सबूत मांगती है। उनके मुताबिक पाकिस्‍तान को चाहिए कि वह पश्चिम को खुश करने के मुकाबले अपनी जनता को साथ लेकर चलने के लिए नीतियों पर काम करे। इसके लिए पाकिस्‍तान को कट्टरपंथियों से मुकाबला करना होगा। यह ऐसे बड़े मुद्दे हैं जिन्‍हें हल करना बेहद जरूरी है। यदि इन पर इमानदारी से काम किया जाए तो पाकिस्‍तान को तरक्‍की करने से कोई नहीं रोक सकता है। फिर हम भी सर उठाकर दुनिया के दूसरे देशों से आंख मिला सकेंगे।

नवाज पर आरोप
बिलावल ने इंटरव्‍यू में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर कमजोर पड़ने का भी आरोप लगाया। उनका कहना था कि नवाज के कार्यकाल में अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से पाकिस्‍तान के रिश्‍ते कमजोर हुए। जहां तक इमरान खान की बात है तो वह सदन के सदस्‍यों को भी साथ लेकर नहीं चलना चाहते हैं। उन्‍होंने इमरान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दुनिया के सामने पाकिस्तान का नजरिया रखने के लिए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र का दौरा नहीं किया। वह सिर्फ वहीं गए जहां से उन्‍हें उम्‍मीद थी कि वित्तीय मदद मिल सकती है। लेकिन वह भूल गए कि विदेश नीति और रिश्ते इस तरह नहीं बनाए जाते हैं।

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