पाकिस्तान में घटी धार्मिक पार्टियों की लोकप्रियता
साल 2013 के आम चुनाव के मुकाबले धार्मिक पार्टियों के वोट में इस बार कमी दर्ज की गई है।
कराची, प्रेट्र। पाकिस्तान के चुनाव में इस बार वोटरों ने मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद समर्थित अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक (एएटी) समेत 12 धार्मिक दलों को ज्यादा महत्व नहीं दिया। ये पार्टियां 25 जुलाई को हुए आम चुनाव में महज 9.5 फीसद वोट ही हासिल कर सकीं। साल 2013 के आम चुनाव के मुकाबले इनके वोट में इस बार कमी दर्ज की गई है।
पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) के अनुसार, चुनाव में कुल 5,43,19,922 वोटरों ने मतदान किया था। इनमें से महज 52,03,285 मतदाताओं (9.56 फीसद) ने ही धार्मिक पार्टियों को वोट दिया। इन दलों को सबसे ज्यादा वोट पंजाब प्रांत में मिले। हाफिज सईद समर्थित एएटी ने 13 महिलाओं समेत 265 उम्मीदवार चुनाव में उतारे थे। सईद के बेटे हाफिज तलहा और दामाद खालिद वलीद ने भी चुनाव लड़ा था। लेकिन इनमें से कोई भी पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली में नहीं पहुंच सका।
खैबर पख्तूनख्वा में दिखा दबदबा
डॉन अखबार ने ईसीपी के हवाले से बताया कि खैबर पख्तूनख्वा में धार्मिक दलों का दबदबा देखने को मिला। प्रांत में ऐसी नौ पार्टियां सामूहिक रूप से 18.84 फीसद वोट पाने में सफल रहीं। बलूचिस्तान में इन दलों को 16.78 फीसद मत मिले।
एमएमए के खाते में आई 12 सीटें
विविध धार्मिक पार्टियों का गठबंधन मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल (एमएमए) करीब 25 लाख मतों के साथ संसद में 12 सीट हासिल करने में सफल रहा। 2002 के चुनाव में हालांकि एमएमए 59 सीटों के साथ संसद में तीसरे बड़े दल के रूप में उभरा था।