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पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों ने कहा- हम जम्मू-कश्मीर के अंग हैं

1947 में जब जम्मू-कश्मीर को तीन हिस्सों में बांटा गया तब छिड़े युद्ध के संघर्षविराम के बाद तीसरे व उत्तरी इलाके गिलगित लदाख को दो हिस्से में बांट दिया गया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 08:22 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 08:22 PM (IST)
पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों ने कहा- हम जम्मू-कश्मीर के अंग हैं
पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों ने कहा- हम जम्मू-कश्मीर के अंग हैं

गिलगित-बाल्टिस्तान, एएनआइ। पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों ने खुला पत्र लिखकर कहा है कि पाकिस्तान सिर्फ उनकी देखभाल करने वाला है। उनकी रिहायश वाला यह हिस्सा वस्तुत: जम्मू-कश्मीर राज्य का भाग है। पाकिस्तान की हैसियत देखभाल करने वाले से ज्यादा की नहीं है। उसे सीमाएं बदलने का कोई अधिकार नहीं है।

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यह खुला पत्र जम्मू-कश्मीर की आजादी की मांग करने वाले संगठनों को संबोधित है। गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों ने कहा- संयुक्त राष्ट्र के संकल्प और 28 अप्रैल, 1949 को हुए कराची समझौते के अनुसार गिलगित-बाल्टिस्तान का इलाका जम्मू-कश्मीर का अंग है। इसलिए पाकिस्तान की हैसियत सिर्फ देखभाल करने वाले की है, उसे सीमाएं बदलने का कोई अधिकार नहीं है।

पत्र में साफ किया गया है कि समूचे जम्मू-कश्मीर की स्थिति विवादित है और यह तथ्य नियंत्रण रेखा के दोनों ओर बसे जम्मू-कश्मीर पर लागू होता है।

पत्र में लिखा है- 1947 में जब जम्मू-कश्मीर को तीन हिस्सों में बांटा गया, तब छिड़े युद्ध के संघर्षविराम के बाद तीसरे व उत्तरी इलाके गिलगित लदाख को दो हिस्से में बांट दिया गया। 28,000 वर्ग मील का यह इलाका श्रीनगर और मुजफ्फराबाद से अलग था। इसी में से 2,000 वर्ग मील का इलाका पाकिस्तान ने 1963 में चीन को दे दिया था।

इसी प्रकार से गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके को पाकिस्तानी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा से जोड़कर वहां के जमीनी हालात बदलने की कोशिश की गई है। यह जम्मू-कश्मीर की सीमा को खत्म करने का पाकिस्तान का प्रयास है। पत्र में जम्मू-कश्मीर की पहचान को बनाए रखने के लिए संघर्षरत सभी संगठनों और दलों से ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर आगे बढ़ने की अपील की गई है। 


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