पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता का आरोप, सेना बना रही निशाना
टेलीफोन पर साक्षात्कार में विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर मुहम्मद इस्माइल ने बताया कि उनके खिलाफ आतंकवाद रोधी अदालत में आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें इस महीने कई बार अदालत में पेश होना पड़ा। पाकिस्तान के सैनिक करते हैं परेशान।
इस्लामाबाद, एपी। पाकिस्तान के एक बुजुर्ग मानवाधिकार कार्यकर्ता ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि सैनिकों के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करने पर सेना उनकी पत्नी और बेटी को निशाना बना रही है। उन पर आतंकवाद से जुड़े नए आरोप लगाए जा रहे हैं। हालांकि उनकी बेटी पहले ही अमेरिका जा चुकी है।
टेलीफोन पर साक्षात्कार में विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर मुहम्मद इस्माइल ने बताया कि उनके खिलाफ आतंकवाद रोधी अदालत में आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें इस महीने कई बार अदालत में पेश होना पड़ा। अदालत में आरोप लगाया गया है कि उनकी पत्नी और बेटी दो आत्मघाती हमलों में शामिल थीं, जिनमें से एक 2013 और दूसरा 2015 में हुआ था।
वहीं, इससे पहले पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों के चलते बलूच लोगों की संस्कृति, भाषा और पहचान खतरे में है। यह बात बलूच वॉयस एसोसिएशन के अध्यक्ष मुनीर मेंगल ने गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र में कही। उन्होंने कहा कि एक तरफ सैन्य अभियानों के चलते बलूच विस्थापन का सामना कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपने संस्कृति और परंपराओं से वंचित कर दिया गया है। धीरे-धीरे वह अपनी पहचान खोते जा रहे हैं।
बता दें कि बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तून्ख्वां में पाकिस्तान की सरकार सेना के साथ मिलकर लोगों पर वर्षों से अत्याचार कर रही है।...और अगर यहां के लोगों ने सरकार की दमकनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई तो उन्हें मार दिया गया या फिर बिना कागजी कार्रवाई के जेल में सड़ने के लिए डाल दिया गया। बलूचिस्तान, खैबर पख्तून्ख्वां और सिंध में ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है। ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिन्हें गायब हुए एक दशक से ज्यादा समय बीत चुका है लेकिन उनका अब तक कुछ पता नहीं चल सका है। वर्ष 2019 में यहां के लोगों की गुमशुदगी पर जारी पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट बताती है कि करीब 47 हजार बलूच, 35 हजार पश्तूनों का कुछ पता नहीं है कि वो कहां है।