सिख तीर्थयात्रियों को 30 सितंबर तक वीजा देगा पाकिस्तान, करतारपुर कॉरिडोर पर लिया ये फैसला
पाकिस्तान ने फैसला किया है कि वह 30 सितंबर से पहले गुरु नानक की 550 वीं जयंती में शामिल होने के लिए तीर्थ यात्रियों को वीजा देने की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे।
इस्लामाबाद, आएएएनएस। पाकिस्तानी अधिकारियों ने फैसला किया है कि वह ननकाना साहिब में गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती में भाग लेने वाले भारत और दुनियाभर के सिख तीर्थयात्रियों को वीजा का काम जल्द पूरा कर लें। इसके लिए 30 सितंबर तक का समय तय किया गया है।
पाकिस्तान के डॉन समाचार की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को लाहौर में पंजाब प्रांत के राज्यपाल चौधरी सरवर की अध्यक्षता में धार्मिक पर्यटन और विरासत समिति (RTHC) की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया। बैठक के बाद, राज्यपाल ने मीडियाकर्मियों को बताया कि सिख तीर्थयात्रियों के लिए वीजा प्रक्रिया 1 सितंबर को शुरू करें और महीने के अंत तक पूरा करने का फैसला किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गुरु नानक के जन्म स्थान ननकाना साहिब में यात्रियों के ठहरने के लिए 'तम्बू का एक शहर' स्थापित करने का काम अगले सप्ताह ms शुरू होगा।
नवंबर तक करतारपुर कॉरिडोर परियोजना को पूरा करने की बात
सरवर ने कहा कि भारत के अलावा सम्मेलन में भाग लेने के लिए कई सिख तीर्थयात्री ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य देशों से भी पहुंचेंगे। डॉन न्यूज ने राज्यपाल के हवाले से बताया कि चाहे भारत इस काम को पूरा करने की इच्छा रखे या नहीं लेकिन, पाकिस्तान करतारपुर कॉरिडोर परियोजना को नवंबर तक पूरा कर लेगा।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के अधिकारों से समझौता नहीं करेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि यह देश अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित है। समिति ने उन व्यवस्थाओं की भी समीक्षा की जो 31 अगस्त को गवर्नर हाउस में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय सिख सम्मेलन के लिए पूरी हो चुकी हैं। जयंती समारोह के दौरान, रेलवे स्टेशन से सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक के जन्म स्थान के लिए विशेष शटल सेवाएं शुरू की जाएंगी। पिछले महीने, 500 से अधिक भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के एक विशेष जत्थे को पाकिस्तान द्वारा गुरु नानक की 550 वीं जयंती समारोह में शामिल होने के लिए ननकाना साहिब का वीजा दिया था। दरअसल, गुरू नानक ने अपने अंतिम दिन यही बिताए थे।
पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित गुरुद्वारा, भारत के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक मंदिर से लगभग 4 किमी और लाहौर से लगभग 120 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में है। गुरु नानक ने 1539 में अंतिम सांस लेने से पहले करीब 18 साल तक वहां रहे थे।
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