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Sikh School in Pakistan: पेशावर में बनेगा पाकिस्‍तान का पहला एकलौता सिख स्‍कूल

पाकिस्‍तानी अधिकारियों ने घोषणा की है कि खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पेशावर (Peshawar) में पाकिस्‍तान (Pakistan) का पहला एकलौता सिख स्‍कूल स्‍थापित किया जाएगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 03:25 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jun 2019 03:38 PM (IST)
Sikh School in Pakistan: पेशावर में बनेगा पाकिस्‍तान का पहला एकलौता सिख स्‍कूल
Sikh School in Pakistan: पेशावर में बनेगा पाकिस्‍तान का पहला एकलौता सिख स्‍कूल

पेशावर, पीटीआइ। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत (Khyber Pakthunkhwa) के पेशावर (Peshawar) में पाकिस्‍तान (Pakistan) का पहला एकलौता सिख स्‍कूल स्‍थापित किया जाएगा। पाकिस्‍तानी अधिकारियों ने यह घोषणा की है। खैबर पख्तूनख्वा सरकार के प्रांतीय औकाफ विभाग (The provincial Auqaf Department) ने स्कूल के निर्माण को मंजूरी देने का फैसला किया है। विभाग ने इसके निर्माण के लिए पेशावर में 22 लाख रुपये आवंटित किए हैं।  

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'द एक्‍सप्रेस ट्र‍िब्‍यून' ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अपने सालाना बजट 2019-20 में प्रांतीय सरकार ने 5.5 करोड़ रुपये अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण के लिए आवंटित किए हैं। यही नहीं सरकार ने अल्पसंख्यक समुदायों के त्योहारों के आयोजन के लिए 86 लाख रुपये आवंटित किए हैं। विभाग ने अपने बयान में कहा है कि सिख समुदाय के चुने हुए प्रतिनिधियों ने अपने समुदाय के लिए अलग स्कूल की स्थापना का आग्रह किया था। 

हालांकि, इन सबके बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर पाकिस्‍तान की चाल सुस्‍त है। भारत जहां अपनी तरफ सर्विस लेन के साथ छह लेन का हाईवे बना रहा है और प्रतिदिन दस हजार श्रद्धालुओं को सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए एयरपोर्ट की सुविधाओं से लैस टर्मिनल तैयार कर रहा है, वहीं पाकिस्तान अपनी ओर केवल दो लेन की सड़क ही बना रहा है। यही नहीं, वह प्रतिदिन 700 श्रद्धालुओं से अधिक को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।  

बता दें कि 30 नवंबर को जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कॉरिडोर की घोषणा की थी, तो श्रद्धालुओं को मुफ्त और वीजा फ्री इंट्री के साथ-साथ सारी सुविधाओं की बात की गई थी। लेकिन हकीकत में इसका उल्टा हो रहा है। पाकिस्तान न सिर्फ श्रद्धालुओं की सुविधाओं में कटौती कर रहा है, बल्कि वीजा की जगह जिस परमिट का प्रस्ताव किया है, उसमें वीजा से भी अधिक जानकारियां मांगी गई हैं। यही नहीं, इस परमिट के लिए श्रद्धालुओं से फीस वसूलने की भी तैयारी है। इसके साथ ही करतारपुर कॉरिडोर के नाम पर दुनिया के दूसरे देशों में रहने वाले सिखों और उनके संगठनों से चंदा मांगने की बात भी सामने आ रही है।

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