इमरान के गले की हड्डी बना गिलगित बाल्टिस्तान चुनाव, विरोध प्रदर्शनों के खौफ से लगाया रैलियों पर बैन
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलगित बाल्टिस्तान में चुनाव कराकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है। चुनाव नतीजों का जमकर विरोध हो रहा है। आवाम भी आवाज बुलंद करने लगी है नतीजतन इमरान खान ने रैलियों और सभाओं पर प्रतिबंध लगाने का एलान कर दिया है।
इस्लामाबाद, एजेंसियां। पाकिस्तान में विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री इमरान खान के आंखों की नींद हराम कर रखी हैं। विपक्षी दल आए दिन रैलियां आयोजित कर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। इसी बीच इमरान ने गिलगित बाल्टिस्तान में चुनाव कराकर अपने मुखलफत की बची खुची कसर भी पूरी कर ली है। गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र के लोग इमरान खान के चुनाव कराने के फैसले का जमकर विरोध कर रहे हैं। गिलगित बाल्टिस्तान में सरकार विरोधी लहर से घबराए इमरान खान ने अब एक नया तिकड़म आजमाया है।
गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र में चुनाव नतीजों पर बढ़ते विरोध के बीच इमरान ने सोमवार रैलियों और सभाओं पर प्रतिबंध लगाने का एलान कर दिया। इन प्रतिबंधों का असल मकसद भले ही जगजाहिर हो लेकिन इमरान खान की सरकार ने इसके पीछे कोरोना संक्रमण के फैलने का हवाला दिया है। कोरोना वायरस पर राष्ट्रीय समन्वय समिति (National Coordination Committee, NCC) की बैठक के बाद देश को संबोधित करते हुए इमरान ने गिलगित बाल्टिस्तान में चुनावों के दौरान सभाओं और रैलियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की।
समाचार एजेंसी एएनआइ ने जीओ न्यू के हवाले से बताया है कि इमरान इस फैसले के पीछे कोरोना की दूसरी लहर का हवाला दिया। इमरान ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि हमने COVID-19 की दूसरी लहर के बढ़ते मामलों की समीक्षा की... जिसे पूरी दुनिया में खास तौर पर यूरोप और अमेरिका में महसूस किया जा रहा है। इसी पर लगाम लगाने के लिए सभाओं और रैलियों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। इस बीच इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (Pakistan Tehreek-e-Insaf, PTI) पर विपक्षी दलों ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है।
समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, पीटीआइ ने गिलगित-बल्तिस्तान में विधानसभा चुनाव में 23 में से आठ सीटों पर कथित जीत दर्ज की है। मतगणना में वह एक सीट पर आगे भी चल रही है। ऐसे में जब गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र की आवान इमरान खान का जमकर विरोध कर रही है... उनकी पार्टी की जीत ने चुनावी प्रक्रिया को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। विपक्षी दल एकजुटता के साथ चुनाव में धांधली का आरोप लगा रहे हैं। लोगों का भी विरोध शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि इन्हीं वजहों से इमरान को रैलियों और सभाओं पर प्रतिबंधों का सहारा लेना पड़ा है।
मालूम हो कि गिलगित बल्तिस्तान में रविवार को 23 सीटों पर मतदान हुआ था। एक सीट पर प्रत्याशी की मौत के बाद चुनाव स्थगित कर दिया गया था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 6-7 निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी यानी पीपीपी को तीन, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज यानी पीएमएल-एन को दो सीटों पर जीत मिली है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल और मजलिस वहदतुल मुस्लिमीन को एक-एक सीट पर जीत मिली है। नतीजों के बाद पीपीपी और पीएमएल-एन ने इमरान की पार्टी द्वारा धांधली के आरोप लगाए हैं।
पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने गिलगित के डीसी चौक में चुनाव नतीजों के विरोध में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे उम्मीदवारों को पीपीपी छोड़ने को कहा गया। वहीं पीएमएल-एन ने कहा है कि यहां लोगों से उनके अधिकार छीने जा रहे हैं। यही नहीं गिलगित बाल्टिस्तान के लोगों में भी सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश है। भारत भी पाकिस्तान को आगाह कर चुका है कि गिलगित-बल्तिस्तान में उसकी किसी भी हरकत को सहन नहीं किया जाएगा। भारत पहले ही साफ कर चुका है कि गिलगित-बल्तिस्तान समेत पूरा गुलाम कश्मीर उसका अभिन्न हिस्सा है...