Pakistan: विदेश में संपत्ति रखने के आरोपी जज पर शरीफ सरकार मेहरबान, जस्टिस फैज के खिलाफ दायर मामला वापस
पाकिस्तान में आर्थिक संकट के बीच शरीफ सरकार न्यायपालिका में अपनी गोटियां फिट करने की कोशिश कर रही है। इस कड़ी में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश काजी फैज ईसा के खिलाफ दायर मामला वापस लेने की घोषणा की है। File Photo
इस्लामाबाद, पीटीआई। पाकिस्तान में आर्थिक संकट के बीच शरीफ सरकार न्यायपालिका में अपनी गोटियां फिट करने की कोशिश कर रही है। इस कड़ी में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश काजी फैज ईसा के खिलाफ दायर मामला वापस लेने की घोषणा की है।
बता दें कि काजी के खिलाफ लंदन में उनके परिवार की संपत्तियों का खुलासा नहीं करने पर इमरान खान सरकार ने मई 2019 में मामला दर्ज किया गया था। अब प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे बेबुनियाद कार्रवाई बताते हुए इसे वापस लिया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि यह मामला एक निष्पक्ष न्यायाधीश के खिलाफ इमरान खान का प्रतिशोध था। उन्होंने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी पर भी न्यायपालिका पर हमले की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया।
सेना के खिलाफ फैसले पर दायर हुआ मामला
दरअसल, न्यायाधीश काजी द्वारा चरमपंथी मजहबी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान द्वारा इस्लामाबाद को घेरने के मामले में सेना के खिलाफ कड़ा निर्णय दिए जाने के बाद यह मामला दायर किया गया था। इस मामला को खारिज करते हुए पाकिस्तान उच्चतम न्यायालय ने सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिया कि न्यायाधीश की पत्नी और बच्चों की ब्रिटेन में स्थित तीन संपत्तियों के लिए खर्च किए गए धन के स्रोत का पता लगाया जाए। यह निर्देश भी रद्द कर दिया गया। इस पर तत्कालीन पीटीआई सरकार ने क्यूरेटिव रिव्यू दाखिल किया। अब इस रिव्यू को सरकार ने वापस लिया है।
हाल ही में सरकार के पक्ष में लिए फैसले
शहबाज शरीफ के इस फैसले को न्यायपालिका पर अपनी पकड़ बनाने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है। जस्टिस काजी इस साल सितंबर में मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं। उन्होंने एक अन्य जज अमीनुद्दीन खान के साथ फैसला दिया कि मुख्य न्यायाधीश के पास विशेष पीठ बनाने या इसके सदस्यों को तय करने की शक्ति नहीं है।
इसके साथ ही न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान नोटिस लेने और संवैधानिक महत्व के मामलों पर सुनवाई स्थगित करने की भी बात की गई। इन फैसलों को सरकार के पक्ष में देखा जा रहा है, क्योंकि ऐसा होने पर सुप्रीम कोर्ट पंजाब और खैबर-पख्तूनख्वा प्रांतों के चुनाव में देरी के खिलाफ मामले की सुनवाई नहीं कर पाएगा। पाकिस्तान सरकार इन प्रांतों में शीघ्र चुनाव नहीं चाहती है।