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यूएस और पाकिस्‍तान के बीच खाई होगी और बड़ी, वजह बनेंगे पीएम इमरान खान!

पाकिस्‍तान और अमेरिका के बीच रिश्‍तों की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है। ऐसे में पाक पीएम इमरान खान का बयान इस खाई को और बड़ा कर सकता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 05:39 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 10:24 AM (IST)
यूएस और पाकिस्‍तान के बीच खाई होगी और बड़ी, वजह बनेंगे पीएम इमरान खान!
यूएस और पाकिस्‍तान के बीच खाई होगी और बड़ी, वजह बनेंगे पीएम इमरान खान!

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पाकिस्‍तान और अमेरिका के बीच रिश्‍तों की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है। ऐसे में पाक पीएम इमरान खान का बयान इस खाई को और बड़ा कर सकता है। पाकिस्‍तान को लेकर पहले से ही अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के मन में काफी नाराजगी भरी हुई है। ऐसे में इमरान के भाड़े के ट्टटू वाला बयान भविष्‍य में और गुल खिलाएगा। यह बात जगजाहिर है कि इस तरह तिलमिलाने की वजह पाकिस्‍तान को मिलने वाली आर्थिक मदद का रद होना है। इस आर्थिक मदद का इतिहास भी काफी लंबा है। पाकिस्‍तान को आर्थिक मदद देना कभी अमेरिका के लिए मजबूरी रहा तो कभी उसकी जरूरत बन गया। अफगानिस्‍तान ने भी इसमें काफी बड़ी भूमिका निभाई है।

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दशकों से रहे उतार-चढ़ाव के रिश्‍ते
पाकिस्‍तान के साथ रिश्‍तों की बात चली है तो आपको बता दें कि दोनों के बीच रिश्‍ते अब से नहीं बल्कि दशकों से खराब रहे हैं। यही वजह है कि पाकिस्‍तान को अमेरिका से समय-समय पर मिलने वाली वित्‍तीय सहायता को कम या पूरी तरह से रोका तक गया है। ऐसा बिल क्लिंटन और बराक ओबामा के समय में भी हमें देखने को मिला है। पाकिस्‍तान की तरफ से हर बार इसको लेकर नाराजगी जाहिर जरूर की गई है लेकिन जिस तरह से इमरान खान का बयान सामने आया है, उस तरह से पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं बोला है। इसमें कोई शक नहीं है कि वर्षों से पाकिस्‍तान अमेरिका से मिलने वाले पैसे से अपनी सही और गलत जरूरतों को पूरा करता आया है। अमेरिका द्वारा सहायता रोके जाने के बाद उसका तिलमिलाना भी इसी वजह से है।

पाक की खराब वित्‍तीय हालत
पाकिस्‍तान की खराब वित्‍तीय हालत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अंतरराष्‍ट्रीय जगत में उसकी साख लगातार कमजोर हो रही है। विभिन्‍न अंतरराष्‍ट्रीय वित्‍तीय संस्‍थाएं उससे हाथ खींच रही हैं। वहीं दूसरी तरफ चीन का बढ़ता कर्ज उसको लगातार अंदर तक खोखला कर रहा है। चीन एक कर्ज को चुकाने के लिए दूसरा कर्ज उसपर लाद रहा है। ऐसे में देश की अर्थव्‍यवस्‍था लगातार चरमरा रही है। बहरहाल, अमेरिका से उसको मिलने वाली वित्‍तीय मदद को देखने के लिए जरूरी है कि कुछ अतीत के पन्‍नों को पलट लिया जाए।

अमेरिका के लिए खास था पाकिस्‍तान
अमेरिका में सितंबर 2001 में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्‍तान अमेरिका का एक बड़ा सहयोगी बनकर उभरा था। आतंकियों के खात्‍मे के साथ अलकायदा के ओसामा बिन लादेन के खात्‍मे को लेकर अमेरिका काफी संजीदा था। इसके अलावा हक्‍कानी नेटवर्क जो बार-बार अमेरिका के लिए खतरा बन रहा था उसको भी वह खत्‍म करना चाहता था। ऐसे में स्‍वाभाविक तौर पर पाकिस्‍तान से बेहतर सहयोगी उसको मिलना काफी मुश्किल भी था। इसके पीछे एक दूसरी वजह अफगानिस्‍तान भी था। अपने मकसद को पूरा करने के लिए वर्ष 2001 से वर्ष 2017 तक अमेरिका ने पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर की सैन्य और आर्थिक मदद दी। वर्ष 2009 और वर्ष 2014 के बीच अमेरिका ने पाकिस्तान को सशर्त 8 अरब डॉलर की मदद दी। शर्त थी कि यदि पाकिस्‍तान ने आतंकियों पर कार्रवाई नहीं की तो आर्थिक मदद रोक दी जाएगी। 2008 में इस तरह की खबर आम थी कि अमेरिका द्वारा पाकिस्‍तान को दिए गए 5 अरब डॉलर से अधिक की सैन्‍य मदद का उसने गलत इस्‍तेमाल किया है।

आर्थिक मदद पर सवाल
आपको बता दें कि अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालते ही उन्‍होंने पाकिस्‍तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर सवाल खड़ा किया था। उनका साफतौर पर कहना था कि इसका अमेरिका को कोई फायदा नहीं हुआ है। हाल ही में उन्‍होंने एक इंटरव्यू में यहां तक कहा कि पाकिस्तान में हर किसी को पता था कि ओसामा बिन लादेन सैन्य अकादमी के करीब रहता था, लेकिन पाकिस्‍तान से इसकी जानकारी अमेरिका को नहीं दी। इससे पूर्व जनवरी 2018 में भी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका ने 15 वर्षों में पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर बतौर आर्थिक मदद दे कर बेवकूफ़ी की थी। इसके बदले में पाकिस्‍तान ने अमेरिका को सिर्फ धोखा और झूठ ही दिया।

आर्थिक मदद का लंबा इतिहास
पाकिस्‍तान को मिलने वाली आर्थिक मदद की शुरुआत केवल ओबामा या ट्रंप प्रशासन से ही शुरू नहीं हुई थी, बल्कि इसकी शुरुआत पाकिस्‍तान के बनने से ही हो गई थी। शीत युद्ध के दौरान 2.5 अरब डॉलर की आर्थिक मदद और 70 करोड़ डॉलर सैन्य मदद दी गई थी। लेकिन इसका उपयोग भारत के खिलाफ करने का उसको खामियाजा यह उठाना पड़ा कि 1965 और 1971 के बीच सैन्य मदद के तौर पर उसको 2 करोड़ 60 लाख डॉलर दिए गए। 1970 के दशक के अंत तक यह मदद 29 लाख डॉलर रह गई थी। 1965 से 1979 के बीच अमेरिका ने पाकिस्तान को 2 अरब 55 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद दी थी। लेकिन इस दौर में पाकिस्‍तान ने गुपचुप तरीके से अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू किया था। इसकी भनक लगते ही अमेरिकी राष्‍ट्रपति जिमी कार्टर ने पाक को दी जाने वाली मदद को रोक दिया था।

अफगानिस्‍तान की भूमिका
यह दौर कुछ समय तक रहा लेकिन अफगानिस्‍तान में रूस के कब्‍जे के बाद हालात पूरी तरह से बदल गए और एक बार फिर से पाकिस्‍तान अमे‍रिका के करीब पहुंच गया था। यही वजह थी कि 1980 और 1990 के बीच अमेरिका ने पाकिस्‍तान को 5 अरब डॉलर की आर्थिक मदद दी थी। इसके अलावा अफगानिस्‍तान में रूस के खिलाफ लड़ने के लिए पाकिस्‍तान को एफ 16 लड़ाकू विमान और दूसरी तकनीक भी उसको दी गई थी। इसके बाद 1990 में एक बार फिर अमेरिका ने इसमें कटौती की। 1990 और 2000 के बीच में अमरीका ने पाकिस्तान को सैन्य मदद के तौर पर सिर्फ 52 लाख डॉलर और आर्थिक मदद के तौर पर करीब 40 करोड़ डॉलर दिए।

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