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पाकिस्तान की राजनीति में हिंदू लड़की की एंट्री, पीपीपी के टिकट पर लड़ेगी चुनाव

आगमी सीनेट चुनाव में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने एक हिंदू लड़की पर दांव चला। सिंध प्रांत से कृष्णा कुमारी को उम्मीदवार बनाया।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Mon, 05 Feb 2018 01:20 PM (IST)Updated: Mon, 05 Feb 2018 02:15 PM (IST)
पाकिस्तान की राजनीति में हिंदू लड़की की एंट्री, पीपीपी के टिकट पर लड़ेगी चुनाव
पाकिस्तान की राजनीति में हिंदू लड़की की एंट्री, पीपीपी के टिकट पर लड़ेगी चुनाव

कराची ( एएनआइ)। आगामी सिनेट चुनाव के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने एक हिंदू लड़की को उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है। रविवार को दिवंगत बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल अली जरदारी के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने कृष्णा कुमारी को सिंध की सामान्य सीट से चुनाव लड़ाने का ऐलान किया। कृष्णा कुमारी सिंध के नगरपरकर जिले के एक दूरदराज गांव की रहने वाली हैं और वे एक कोहली परिवार से आती हैं। बता दें कि सिंध प्रांत में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी बहुमत में हैं। ऐसे में कृष्णा कुमारी के जीतने की संभावना बहुत अधिक मानी जा रही है। अगर कृष्णा कुमारी चुनाव जीत जाती हैं तो वे पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला सीनेटर होंगी।

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हिंदू लड़की पर पीपीपी का दांव

पाकिस्तान के द डॉन अखबार के मुताबिक, कृष्णा कुमारी को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने आश्वस्त किया है कि अगर वे चुनाव जीत जाती हैं तो दूरदराज के क्षेत्रों, महिलाओं के सशक्तिकरण और अल्पसंख्यक समुदाय को आगे बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा। पीपीपी से उनसे आगामी सीनेट चुनावों के लिए उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल करने को कहा है। उन्होंने बताया, 'कुछ दिन पहले मुझे बिलावल भुट्टो, फ़ारियल तलपुर और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में वे सिंध प्रांत की सामान्य सीट से मुझे टिकट आवंटित करेंगे।

जानिए कौन हैं कुष्णा कुमारी

- कृष्णा कुमारी का जन्म 1979 में एक गरीब कोहली परिवार में हुआ।

- उनके पिता जुगनु कोहली किसान हैं

- कुमारी और उनके परिवार ने जमीन पर अतिक्रमण के आरोप में लगभग तीन साल जेल में बिताए।  

- कृष्णा की 16 साल की उम्र में शादी हो गई थी, तब वे 9वीं कक्षा में पढ़ती थीं। हालांकि उनके पति ने उन्हें आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया।

- वर्ष 2013 में उन्होंने सिंध विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की।

- कृष्णा कुमारी ने सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर शुरुआत में काम किया।

- बाद में वे अपने भाई के साथ पीपीपी में शामिल हो गईं।

- इसके बाद पार्टी ने उन्हें बेरेनो से यूनियन काउंसिल का चेयरमैन बनाया। 

- उन्होंने सक्रिय रूप से अल्पसंख्यकों के लिए काम किया। वे थार और सिंध प्रांत के अन्य हिस्सों में रहने वाले पिछड़े समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ती आईं हैं।

3 मार्च को सीनेट का चुनाव

गौरतलब है कि पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने शुक्रवार को सीनेट चुनावों की घोषणा कर दी है। चुनाव की तारीख तीन मार्च है। पाकिस्तान में पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनवा व बलूचिस्तान विधानसभा के सदस्य सात सिनेट सदस्यों का चुनाव करेंगे। प्रत्येक प्रांत में दो सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं और दो सीट उलेमा समेत टेक्नोक्रेट्स के लिए आरक्षित हैं। बता दें कि भारत के राज्यसभा की तरह पाकिस्तान का सिनेट है।

इसलिए अहम है कृष्णा कुमारी की उम्मीदवारी

पाकिस्तान में कृष्णा कुमारी की उम्मीदवारी को काफी अहम माना जा रहा है। दरअसल, पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति अच्छी नहीं है। अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार के कई मामले हाल में दिनों में पाकिस्तान में देखने को मिले। हालांकि उसने खुद पर लगने वाले इन आरोपों के दाग को धोने के कई प्रयास किए। ऐसे स्थिति में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी एक हिंदू चेहरे को उम्मीदवार बनाकर अल्पसंख्यकों के बीच अपनी पैठ बनाना चाहती हैं ताकि आम चुनावों में अल्पसंख्यक उनके साथ हो। वहीं, पाकिस्तान की जिस तरह अल्पसंख्यकों की बदहाली देखने को मिलती है, इतनी मुश्किल परिस्थितियों में पली-बढ़ी कृष्णा कुमारी का राजनीति के इस मुकाम पर पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि है।


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