पाकिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के पहुंचने से गरमाई राजनीति
अफगानिस्तान से लौटे सैकड़ों अमेरिकी जवानों के पाकिस्तान में ठहराव को लेकर यहां बड़ी बहस छिड़ गई है। इस मामले में निशाने पर आई इमरान सरकार के गृह मंत्री ने कहा है कि अमेरिकी सेना अस्थायी रूप से सीमित अवधि के लिए रुकी हुई है।
इस्लामाबाद, प्रेट्र। अफगानिस्तान से लौटे सैकड़ों अमेरिकी जवानों के पाकिस्तान में ठहराव को लेकर यहां बड़ी बहस छिड़ गई है। इस मामले में निशाने पर आई इमरान सरकार के गृह मंत्री ने कहा है कि अमेरिकी सेना अस्थायी रूप से सीमित अवधि के लिए रुकी हुई है।
अमेरिका सेना की अफगानिस्तान से निकासी के दौरान सैकड़ों अमेरिकी जवान पाकिस्तान पहुंचे हैं। इसको लेकर पाकिस्तान में खबर फैली हुई है कि अमेरिका यहां सैन्य अड्डा बनाने जा रहा है। इस खबर को पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने पूरी तरह गलत बताया है।
गृह मंत्री ने डान अखबार को बताया कि अफगानिस्तान से वापसी के बाद अमेरिकी सेना के जवानों को 21 से 30 दिनों का ट्रांजिट वीजा दिया गया है। उन्होंने इस बात को भी खारिज किया है कि पाकिस्तान मुशर्रफ काल की तरफ लौट रहा है। सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने 2002 में अमेरिका को शम्सी और जकोबाबाद में अपने एयरबेस को इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी। शेख राशिद अहमद ने विरोधी दलों के गठबंधन पीडीएम के नेता फजलुर रहमान की उस बात का खंडन किया है कि सरकार राजधानी इस्लामाबाद के होटलों में अमेरिकी सेना को ठहरा रही है।
पाकिस्तान के गृह मंत्री ने बताया कि अफगानिस्तान से 2192 लोग तोरखम बार्डर से, 1627 विमान के जरिये पाकिस्तान पहुंचे हैं। बहुत कम संख्या में लोग चमन बार्डर से आए हैं। चमन बार्डर से दोनों देशों के बीच सामान्य स्थितियों में भी आना-जाना बना रहता है। उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान ने पाकिस्तान को आश्वासन दिया है कि उनकी जमीन से तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) कोई भी आतंकवादी गतिविधि अफगानिस्तान की जमीन से नहीं कर सकेगा।
वहीं भारतीय खुफिया एजेंसियोंं के जारी किए अलर्ट में कहा गया है कि कश्मीर के लिए पाकिस्तान में बैठे आतंकी कुछ बड़ा प्लान कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इसमें उसका साथ तालिबान भी दे सकता है।