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पाक पीएम इमरान खान पर बरसे मौलाना फजलुर रहमान, बोले- मुजफ्फराबाद जाने को है

मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि पहले हम सोचते थे कि भारत से श्रीनगर कैसे लें अब सोचते हैं कि मुजफ्फराबाद कैसे बचाएं।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 19 Aug 2020 12:20 AM (IST)Updated: Wed, 19 Aug 2020 12:20 AM (IST)
पाक पीएम इमरान खान पर बरसे मौलाना फजलुर रहमान, बोले- मुजफ्फराबाद जाने को है
पाक पीएम इमरान खान पर बरसे मौलाना फजलुर रहमान, बोले- मुजफ्फराबाद जाने को है

पेशावर, एएनआइ। पाकिस्तान में धर्मगुरु से नेता बने मौलाना फजलुर रहमान ने कश्मीर पर अप्रभावी नीतियों के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से इमरान कश्मीर के संबंध में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले हम सोचते थे कि भारत से श्रीनगर कैसे लें, अब सोचते हैं कि मुजफ्फराबाद कैसे बचाएं। उन्होंने कहा कि सरकार का नेतृत्व कर रहे 'पाकिस्तान के गोर्बाचोव' के पास अब गिनती के दिन बचे हैं।

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कट्टरपंथी मौलाना एवं जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फज्ल (जेयूआई-एफ) के नेता ने दक्षिणी खैबर पख्तूनख्वा में मंगलवार को बन्नू शहर में धरना-प्रदर्शन के दौरान विपक्ष के नेताओं को चोर बुलाने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनी हुई सरकार ने खान की बहन को नेशनल रिकॉन्सिलिएशन ऑíडनेंस (एनआरओ) की पेशकश की है। रहमान ने दावा किया कि खान के नेतृत्व से चल रही पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) सरकार के दिन लद गए हैं। इनके पास महज कुछ ही दिन रह गए हैं।

पाकिस्तानी मीडिया के हवाले उन्होंने कहा कि इमरान खान की बहन को एनआरओ दिया गया है। हमें भी ऐसी सिलाई मशीन दी जाए जो आपको एक साल में 70 अरब रुपये कमा कर दे सके। नेशनल रिकॉन्सिलिएशन ऑíडनेंस एक ऐसा अध्यादेश है जिसे भ्रष्टाचार, गबन, धन शोधन, हत्या और आतंकवाद के आरोपित नेताओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नौकरशाहों को माफी देने के इरादे से 2007 में जारी किया गया था। रहमान ने कहा कि खान 'पाकिस्तान का गोर्बाचोव' बनने की कोशिश कर रहे हैं। ध्यान रहे कि रूस यानी पूर्व सोवियत संघ का विघटन मिखाइल गोर्बाचेव के राष्ट्रपति रहने के दौरान ही हुआ था।

इस महीने की शुरुआत में मौलाना ने ऐसा ही तेवर दिखाते हुए प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने के लिए दो दिन का वक्त दिया था। जेयूआइ-एफ प्रमुख ने कुछ दिन पहले खान की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें उन्होंने रहमान के सरकार विरोधी प्रदर्शन को सर्कस बताया था। रहमान ने 27 अक्टूबर को कराची से अपने प्रदर्शन की शुरुआत की थी और हजारों समर्थकों के लाव-लश्कर के साथ वह 31 अक्तूबर को इस्लामाबाद पहुंचे थे। रहमान के नेतृत्व वाली सरकार विरोधी रैली को आजादी मार्च कहा जा रहा है जिसका मकसद मौजूदा सरकार को सत्ता से हटाना है।

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