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पाकिस्तान की इमरान सरकार ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के 100 आतंकियों को छोड़ा, भड़का विपक्ष

पाकिस्तान की इमरान सरकार ने आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सामने घुटने टेकते हुए उसके 100 से ज्यादा आतंकियों को रिहा कर दिया। इमरान सरकार की इस पहल से विपक्ष खासा नाराज है। जानें इसके पीछे क्‍या दी गई है दलील...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 07:27 PM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 07:38 PM (IST)
पाकिस्तान की इमरान सरकार ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के 100 आतंकियों को छोड़ा, भड़का विपक्ष
पाकिस्तान ने टीटीपी के सामने घुटने टेकते हुए उसके 100 से ज्यादा आतंकियों को रिहा कर दिया है।

इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान की इमरान सरकार ने आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के सामने घुटने टेकते हुए उसके 100 से ज्यादा आतंकियों को रिहा कर दिया। सरकारी अधिकारियों के हवाले से एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ज्यादातर टीटीपी कैदी सरकार द्वारा स्थापित नजरबंदी शिविरों में समाज की मुख्यधारा में लौटाए जाने की प्रक्रिया से गुजर रहे थे।

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हालांकि, इनमें से अधिकांश ने छह महीने की अनिवार्य नजरबंदी अवधि भी नहीं बिताई थी। पाकिस्तानी दैनिक के मुताबिक, अधिकारियों ने दावा किया है कि कैदियों को सद्भावना के तौर पर छोड़ा गया है। फिलहाल टीटीपी की कोई मांग या शर्त नहीं मानी गई है। पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच नौ नवंबर से शांति वार्ता चल रही है। दोनों पक्षों के बीच अफगानिस्तान में कई दौर की वार्ता के बाद टीटीपी ने संघर्ष विराम का एलान किया है।

हालांकि, इमरान सरकार की इस पहल से विपक्ष खासा नाराज है। वहीं दूसरी ओर अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और घरेलू मोर्चो पर बिखर रहे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ बांग्लादेश को अस्थिर करने का कुत्सित प्रयास कर रही है। वर्ष 1971 में पाकिस्तान से अलग हुए बांग्लादेश में आइएसआइ ने इस्लामिक आतंकवाद की जड़ों को मजबूत करना शुरू कर दिया है।

बांग्लादेश लाइव न्यूज ने मंत्री हसन उल-इनू के हवाले से लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका पर कहा, 'पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ बांग्लादेश को तब से अस्थिर करने का प्रयास कर रही है, जबसे उसे आजादी मिली है। इन पहलुओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।' बांग्लादेश में आतंकवाद और उसे पाकिस्तान से मिलने वाली मदद वर्ष 2016 में सार्वजनिक हो गई थी, जब ढाका की होली आर्टिसन बेकरी पर हमला हुआ था। इसमें 20 लोग मारे गए थे, जिनमें पांच विदेशी थे।

हमले को स्थानीय आतंकी संगठन जमात-उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) ने अंजाम दिया था। जांच में पता चला था कि जेएमबी को पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन प्राप्त था। आइएसआइ लश्कर जैसे आतंकी संगठनों को मदद करती रही है। बांग्लादेश लाइव न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 के ढाका हमले के बाद सरकार को खुफिया जानकारी मिली थी कि जेएमबी के आतंकी पाकिस्तान होते हुए अफगानिस्तान पहुंचे थे, जहां उन्हें सैन्य प्रशिक्षण दिया गया।

लश्कर को जेएमबी के आतंकियों को प्रशिक्षण देने और बांग्लादेश में कट्टरता को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी मिली है। जेएमबी व लश्कर काक्स बाजार के टेकनाफ व बांदरबन के दूरस्थ क्षेत्रों में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की भी भर्ती कर रहे हैं। बांग्लादेश में आतंकी संगठन एएमएम को हरकत-उल-जिहाद इस्लामी-अरकान (एचयूजेआइ-ए) ने पैदा किया, जिसका लश्कर व पाकिस्तान तालिबान के साथ करीबी रिश्ता रहा है।

एएमएम रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों से युवाओं की भर्ती कर रहा है, ताकि उन्हें आतंकवाद का प्रशिक्षण देकर बांग्लादेश व भारत में आतंकी हमलों को अंजाम दिया जा सके। रिपोर्ट के अनुसार करीब एक दशक से भी ज्यादा समय से ये तीनों आतंकी संगठन नए लोगों को आतंकी प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेज रहे हैं। जमात व हिफाजत ने तो एलान कर दिया है कि वे बांग्लादेश में तालिबान राज्य की स्थापना करना चाहते हैं। 


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