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बदहाल पाकिस्तान की टूटेगी कमर, कर्ज मिलना हो जाएगा मुश्किल; गिरेगी साख

एफएटीएफ की ग्रे सूची में पहले से ही शामिल पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ चुकी हैं। अब पाकिस्तान में गंभीर वित्तीय संकट पैदा होने वाले हैं। जिससे उसकी कमर टूट जाने वाली है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 09:28 AM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 09:34 AM (IST)
बदहाल पाकिस्तान की टूटेगी कमर, कर्ज मिलना हो जाएगा मुश्किल; गिरेगी साख
बदहाल पाकिस्तान की टूटेगी कमर, कर्ज मिलना हो जाएगा मुश्किल; गिरेगी साख

नई दिल्ली, जेएनएन। एक तो करेला दूसरे नीम चढ़ा। पहले से ही फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे सूची में शामिल पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ चुकी हैं। अब एफएटीएफ के क्षेत्रीय संगठन एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में शामिल कर दिया है। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि यहां से राहत पाकर वह अपनी मौजूदा ग्रे सूची की स्थिति से उबर जाएगा लेकिन मनी लॉड्रिंग और आतंकी संगठनों के वित्त पोषण जैसी गतिविधियों पर लगाम लगाने में असमर्थ रहने के चलते इस संस्था ने उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है। लगातार ग्रे सूची में रहने के चलते ही उसकी आर्थिक दुश्वारियां बढ़ जाएगी। रही सही कसर अक्टूबर में पूरी हो सकती है जब एफएटीएफ उसे ग्रे से ब्लैक लिस्ट में डाल सकती है।

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क्या है एफएटीएफ-एपीजी
जी-7 देशों की पहल पर 1989 में गठित एफएटीएफ एक अंतर सरकारी संगठन है। गठन के समय इसके सदस्य देशों की संख्या 16 थी। 2016 में ये संख्या बढ़कर 37 हो गई। भारत भी इस संस्था का सदस्य देश है। शुरुआत में इसका मकसद मनी लॉड्रिंग पर रोक लगाना था, लेकिन 2001 में अमेरिका पर हुए आतंकी हमलों के बाद आतंकी संगठनों का वित्त पोषण भी इसकी निगरानी के दायरे में आ गया। एपीजी यानी एशिया पैसिफिक ग्रुप(APG) इसकी क्षेत्रीय इकाई है। सुविधा के लिए इस अंतरराष्ट्रीय संगठन ने कई क्षेत्रीय इकाइयां गठित कर रखी है। इनमें आठ अन्य संस्थाएं प्रमुख हैं।

सूचियों की बानगी
एफएटीएफ दुनिया के उन देशों की दो सूची बनाती है जो मनी लॉड्रिंग और आतंकी संगठनों को मिलने वाले धन को रोकने या उसके खिलाफ कदम उठाने में पीछे रहते हैं। इस आशय की पहली सूची ग्रे और दूसरी ब्लैक होती है।

कैसे टूटेगी पाकिस्तान की कमर

1. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक सहित वैश्विक वित्तीय संस्थाएं इस देश की साख को गिरा सकती हैं। इससे इसे कर्ज मिलना मुश्किल हो जाएगा।

2. मूडी, एस एंड पी और फिच जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां देश की रेटिंग गिरा सकती हैं। इससे इसकी अर्थव्यवस्था डावांडोल हो सकती है। निवेशक बिदक सकते हैं।

3. वहां का वित्तीय क्षेत्र ढह सकता है। 126 शाखाओं वाला सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड सहित सिटी बैंक, ड्यूश बैंक अपना कारोबार समेट सकते हैं।

4. विदेशी लेनदेन और विदेशी मुद्रा प्रवाह में कमी के चलते पहले से ही सिर से ऊपर चढ़ा पाकिस्तान का चालू खाता घाटा और बढ़ सकता है।

5. विदेशी निवेशकों और कंपनियों को यहां कारोबार करने से पहले हजार बार सोचना पड़ सकता है। लिहाजा विदेशी निवेश के नाम पर धेला न मिलने के लिए भी इस देश को तैयार रहना होगा।

6. यूरोपीय देशों को निर्यात किए जाने वाले चावल, कॉटन, मार्बल, कपड़े और प्याज सहित कई उत्पादों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। लिहाजा घरेलू उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।


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