हाफिज की गुजारिश पर लाहौर की अदालत में भेजे गए उसके मुकदमें, पाकिस्तान का दोहरा चरित्र हुआ उजागर
पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधी अदालत ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ चल रहे आतंकी फंडिंग के दो मामलों को लाहौर भेज दिया है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
लाहौर, पीटीआइ। पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधी अदालत ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के खिलाफ चल रहे आतंकी फंडिंग के दो मामलों को लाहौर स्थानांतरित कर दिया है। खुद आतंकी हाफिज सईद ने इसकी गुहार लगाई थी। लाहौर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ममून रशीद शेख (Mamoon Rashid Sheikh) ने सईद (Hafiz Saeed) और उनके करीबी जफर इकबाल (Zafar Iqbal) की याचिका पर सुनवाई की जो अल-अनफाल ट्रस्ट का सचिव है। अभियोजन पक्ष द्वारा हाफिज की मांग पर कोई आपत्ति नहीं उठाई जिसके बाद अदालत ने याचिका को स्वीकार कर लिया।
सईद ने अपनी याचिका में अदालत से गुजारिश की थी कि उसके खिलाफ टेरर फंडिंग के दो मामलों को लाहौर स्थानांतरित किए जाएं ताकि एक ही अदालत में उनकी सुनवाई हो सके। ये मामले पंजाब के मुल्तान और साहिवाल शहरों में चल रहे हैं। गौर करने वाली बात यह है कि जिस हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र आतंकी नामित कर चुका है उसकी याचिका पर सरकारी वकील यानी अभियोजन पक्ष की ओर से कोई आपत्ति तक तर्ज नहीं कराई गई।
एक करोड़ डॉलर के ईनामी आतंकी हाफिज सईद को आतंकी फंडिंग के मामले में 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। 70 वर्षीय इस आतंकी को कोट लखपत की कड़ी सुरक्षा में बंद किया गया था। लाहौर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ममून राशिद शेख ने हाफिज सईद की याचिका पर सुनवाई के साथ ही उसके करीबी जफर इकबाल के खिलाफ भी सुनवाई हुई। इकबाल अल-अनफाल ट्रस्ट का सचिव भी है। कोर्ट ने हाफिज सईद की याचिका स्वीकार कर ली।
बीते12 फरवरी को सईद और इकबाल को आतंकी फंडिंग के दो मामलों में सजा सुनाई गई। यह दोनों मामले लाहौर और गुजरनवाला शहरों में दर्ज थे। आतंकवाद रोधी कोर्ट के जज अरशद हुसैन भुट्टा ने सईद और इकबाल को दोनों मामलों में साढ़े पांच साल की कैद और 15 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। इनकी कुल सजा 11 साल कैद की होगी। सईद के वकील इमरान फैजल गिल ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को एफएटीएफ मामले पर दबाव के चलते दोषी ठहराया गया है।