पाकिस्तान में मानवाधिकार से लेकर धार्मिक स्वतंत्रता तक का हनन, मासूम लड़कियां होती हैं शिकार
अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों का अपहरण कर उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है और जबरन मुस्लिम समुदाय में शादी कर दी जाती है।
इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान में मानवाधिकार हनन तो होता ही है साथ ही यहां धार्मिक स्वतंत्रता भी नहीं है। हर साल यहां के अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को धर्म परिवर्तन के लिए विवश किया जाता है और जबरन मुस्लिम धर्म में शादी की जाती है। मानवाधिकार हनन के साथ धार्मिक आजादी को छीनने के लिए भी पाकिस्तान बदनाम है। यहां अल्पसंख्यक समुदाय की मासूम व नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर मुस्लिम धर्म में शामिल किया जाता है। यहां तक कि यहां की पुलिस और नेता भी उनकी मजबूरी और विवशता को नजरअंदाज करते हैं और अल्पसंख्यकों को मुश्किल जिंदगी जीने के लिए मजबूर कर देते हैं।
मात्र पिछले एक सप्ताह के दौरान पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन के सात मामले सामने आए। इसमें से चार हिंदू लड़कियां है। मानवाधिकार आयोग के अनुसार, हर साल कम से कम एक हजार गैर मुस्लिम लड़कियों को जबरन इस्लाम कबूलवाया जाता है। इनमें से अधिकतर लड़कियां सिंध में हिंदू समुदाय की हैं। बता दें कि इस प्रांत में करीब 80 लाख लोग रहते हैं। मानव अधिकारों के यूनिवर्सल ऐलान पर पाकिस्तान ने भी समर्थन किया है। इसके अनुसार, धर्म की स्वतंत्रता के तहत किसी को भी अपना धर्म बदलने का अधिकार है और कोई इसमें किसी तरह की जबर्दस्ती भी नहीं करेगा। जबरन धर्म परिवर्तन के कई मामलों के बावजूद देश ने अब तक दो बिल को 2016 और 19 में पेश किया गया जिसमें इसके लिए न्यूनतम उम्र 18 वर्ष का निर्धारण किया गया।
अल्पसंख्यकों के खिलाफ पाकिस्तान में लगातार हिंसा और उत्पीड़न की घटनाएं सामने आ रही हैं। 'मूवमेंट फॉर सॉलिडरिटी एंड पीस इन पाकिस्तान' के अनुसार, हर साल ईसाई और हिंदू समुदायों की करीब एक हजार लड़कियों का अपहरण होता है और इनका धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम युवकों से शादी कराई जाती है। सिंध में अल्पसंख्यक समुदायों ने भोजन मुहैया कराने के लेकर अपील की है और कहा है कि पाकिस्तान की ओर से उन्हें किसी तरह की मदद नहीं दी जा रही है।