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दबाव में पाकिस्‍तान, मसूद अजहर के भाई सहित 44 आतंकियों को लिया हिरासत में

भारत की हवाई हमले के बाद डरे सहमे पाकिस्‍तान ने दुनिया को दिखाने के लिए कार्रवाई करनी शुरू कर दी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 05:09 PM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 12:28 AM (IST)
दबाव में पाकिस्‍तान, मसूद अजहर के भाई सहित 44 आतंकियों को लिया हिरासत में
दबाव में पाकिस्‍तान, मसूद अजहर के भाई सहित 44 आतंकियों को लिया हिरासत में

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तरह से सीमा पार आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ बेहद सख्त रवैया अख्तियार किया था, उसका कुछ न कुछ नतीजा निकलता दिख रहा है। पाकिस्तान सरकार ने मंगलवार को जैश ए मोहम्मद समेत कई आतंकी संगठनों के 44 नुमाइंदों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।

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जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उसमें जैश ए मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का बेटा हम्माद अजहर और दो भाई मौलाना अम्मार और मुफ्ती अब्दुल रऊफ भी शामिल है। हम्माद और रऊफ का नाम पिछले हफ्ते भारत सरकार की तरफ से पाकिस्तान को पुलवामा व इसके पहले के आतंकी घटनाओं में जैश की भूमिका पर सौंपे गये डोजियर में भी शामिल है।

इमरान खान सरकार की तरफ से पहली बार आतंकियों के खिलाफ की गई इस बड़ी कार्रवाई पर भारत की पैनी नजर है लेकिन वह इससे तभी संतुष्ट होगा जब इनके खिलाफ एफआइआर हो और उन्हें सजा दिलाने की प्रक्रिया चालू हो। अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने पर पाकिस्तान पहले ही इस तरह का कदम उठाता रहा है लेकिन उसके बाद ठोस कार्रवाई नहीं होती। मंबई हमले के बाद जकी उर रहमान लखवी समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन उसके खिलाफ भारत की तरफ से तमाम सबूत देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। कोर्ट ने उसकी रिहाई का भी आदेश दे दिया है।

हाफिज सईद को अभी तक तीन बार नजरबंद जा चुका है लेकिन अभी भी वह खुलेआम भारत के खिलाफ जिहाद का ऐलान करता है। इसी तरह से पठानकोट हमले की जांच के लिए विशेष टीम बनाई गई लेकिन उसका भी कोई खास असर नहीं रहा। मौलाना मसूद अजहर व उसके भाइयों को नजरबंद कुछ दिनों के लिए किया गया और फिर छोड़ दिया गया। भारतीय संसद पर हमले के बाद वर्ष 2001 में पहली बार जैश को प्रतिबंधित किया गया लेकिन उसके बाद से जैश और बेखौफ होता गया।

पाकिस्तान सरकार की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि आंतरिक मंत्रालय ने 4 मार्च, 2019 को अपनी एक बैठक में फैसला किया है कि सभी प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि 44 लोगों क जांच पड़ताल के लिए हिरासत में लिया गया है। जिस बैठक में शामिल किया गया है उसमें पाकिस्तान के सभी राज्यों के गृह मंत्रियों ने हिस्सा लिया था। इस फैसले की घोषणा इमरान खान सरकार में आतंरिक राज्य मंत्री शहरयार खान अफरीदी ने किया।

ये वहीं मंत्री हैं जिन्होंने कुछ समय पहले यह कहा था कि जब तक तक उनकी पार्टी (पीटीआइ) सत्ता में है तब तक कोई 'माई का लाल' जिहादियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती। माना जा रहा है कि इमरान खान सरकार मौलाना मसूद अजहर के खिलाफ भी जल्द कोई ठोस कार्रवाई करेगी। बताया जा रहा है कि पीएम इमरान की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया कि जिन आतंकियों संगठनों को किसी न किसी तरह से पाकिस्तान में पनाह मिला हुआ है उनके खिलाफ अब कार्रवाई होनी चाहिए।

दूसरी तरफ भारत का मानना है कि पाकिस्तान पहले भी इस तरह का रवैया अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने के लिए करता रहा है। खुफिया एजेंसियों के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अगर पाकिस्तान सरकार व वहां की एजेंसियां जल्द ही हिरासत में लिये गये आतंकियों के खिलाफ वहां आतंकवाद निरोधक कानून 1997 के खिलाफ कार्रवाई करती है तो वह स्वागत योग्य होगा। विदेश मंत्रालय भी पाकिस्तान के इस कदम को लेकर बहुत उत्साहित नहीं है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, ''नये पाकिस्तान में हम नया एक्शन देखने की उम्मीद लगाये हैं।''

बता दें कि यह कार्रवाई विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के उस एलान के बाद की गई है, जिसमें उन्होंने अपनी जमीन का किसी भी देश के खिलाफ आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने की बात कही थी। उन्होंने यह भी दावा किया था कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय को सरकार ने कब्जे में ले लिया है।

आतंकी संगठनों पर कार्रवाई के नाम पर पाक की एक और गुगली
बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने के लिए पाकिस्तान की पैंतरेबाजी जारी है। इमरान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा नामित व्यक्तियों और आतंकी संगठनों की संपत्तियां जब्त करने का फैसला किया है। इस बारे में सोमवार को आदेश भी जारी कर दिया गया है। हालांकि, पाकिस्तान पहले भी ऐसा कर चुका है, कोर्ट से प्रतिबंधित व्यक्तियों और संगठनों को राहत मिल जाती है।

विदेश विभाग के अनुसार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (कुर्की और जब्ती) आदेश को 2019, पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) अधिनियम, 1948 के प्रावधानों के अनुसार जारी किया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुहम्मद फैसल ने कहा कि इसका मतलब है कि सरकार ने देश में संचालित सभी प्रतिबंधित संगठनों पर नियंत्रण कर लिया है।

अब से आगे सभी तरह की संपत्ति और सभी (प्रतिबंधित) संगठनों की संपत्ति सरकार के नियंत्रण में होगी। उन्होंने कहा कि सरकार अब ऐसे प्रतिबंधित संगठनों के चैरिटी विंग और एंबुलेंस को भी जब्त करेगी।   


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