रोड अतिक्रमण मामला: पाक SC में आईएसआई चीफ को समन
आईएसआई ने इस्लामाबाद शहर में स्थित एजेंसी के मुख्यालय के चारों ओर की भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है, जिसे खाली करने का कोर्ट ने आदेश दिया है।
इस्लामाबाद (जेएनएन)। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रोड अतिक्रमण मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट के आदेश स्थगित करते हुए आईएसआई चीफ को समन जारी कर तलब किया है। कोर्ट जानना चाहता है कि आईएसआई ने कोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक रोड को आम जनता के लिए क्यों नहीं खोला है। आईएसआई ने इस्लामाबाद शहर में स्थित एजेंसी के मुख्यालय के चारों ओर की भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है, जिसे खाली करने का कोर्ट ने आदेश दिया है।
कोर्ट में हाजिर हो आर्इएसआई
इस्लामाबाद हाईकोर्ट की ओर से पिछले शुक्रवार को आईएसआई चीफ नावेद मुख्तार और रक्षा सचिव जमीर अल हुसैन शह को समन जारी करके 4 जुलाई को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया है। आईएसआई ने सुरक्षा के मद्देनजर बैरिकेडिंग लगाने को लेकर मुख्यालय के आसपास रोड को बंद कर दिया था। आईएसआई की ओर से यह फैसला वर्ष 2005 में उस वक्त लिया गया था, जब देश में तानाशाह परवेज मुशर्रफ का शासन था।
हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती
रक्षा मंत्रालय ने याचिका दाखिल करके हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। मंत्रालय की ओर से चार से छह सप्ताह में सुरक्षा के अन्य विकल्प ढूंढने की बात कही गई। मामले की सुनवाई के दौरान रक्षा सचिव की ओर से भी हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई। उनकी ओर से कहा गया कि सुरक्षा के मामलों में किसी अथॉरिटी और न्यायिक संस्था को दखल नहीं देना चाहिए।
मास्टरप्लान का हिस्सा था रोड
मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश साकिब निसार की तीन सदस्यीय पीठ ने आईएसआई से कहा कि वो एक समयसीमा बताएं कि आखिर कब तक सड़क से बैरिकेडिंग हटा ली जाएगी। मुख्य न्यायधीश डिप्टी अटॉर्नी जनरल नायब गर्देजी से पूछा कि आईएसआई ने क्यों खय्बान-ए-सुहरवर्दी रोड से बैरिकेडिंग नहीं हटाई, जबकि यह रोड इस्लामाबाद के मास्टर प्लान का हिस्सा था।
जस्टिस निसार ने कहा कि कोर्ट की ओर से आम भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर पहले से आदेश दिया जा चुका है, जो कि पूरे पाकिस्तान में लागू होता है। ऐसे में आईएसआई को इसमें छूट कहां से मिल गई। उन्होंने कहा कि आईएसआई चीफ को बुलाया जाए और पता लगाया जाए कि आखिर क्यों कोर्ट के आदेश के बावजूद इस रोड को आम जनता के लिए नहीं खोला गया। यह दूसरा मौका है, जब सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस लिया है।