FATF के काली सूची में जाने से डरा पाक, नेशनल असेंबली में अहम बिल पारित किया
पाकिस्तान में एफएटीएफ की एक महत्वपूर्ण शर्त को पूरा करने संबंधी अहम विधेयक पारित किया है। इसमें सूचनाओं और अपराधियों की अदला-बदली को लेकर कुछ खास प्रावधान किए गए हैं।
इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने एफएटीएफ की एक महत्वपूर्ण शर्त को पूरा करने संबंधी अहम विधेयक पारित किया है। इसमें सूचनाओं और अपराधियों की अदला-बदली को लेकर कुछ खास प्रावधान किए गए हैं। बता दें कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने पाक को फरवरी 2020 तक 'ग्रे' सूची में रखा है। इसने अक्टूबर में चेतावनी दी थी कि यदि इस्लामाबाद ने 27 सवालों की सूची में शेष 22 बिंदुओं का अनुपालन नहीं किया तो उसे काली सूची में डाल दिया जाएगा। पाक ने छह दिसंबर को एफएटीएफ को 22 सवालों का जवाब देते हुए एक रिपोर्ट सौंपी थी।
परस्पर कानूनी सहायता (आपराधिक विषय) विधेयक, 2019 पाकिस्तान की संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में सोमवार शाम पारित किया गया। इस कानून के तहत सरकार गवाहों, संदिग्धों और अपराधियों के ठिकानों तथा उनकी पहचान के बारे में जानकारी के लिए किसी देश को परस्पर कानूनी सहायता का अनुरोध भेजने के लिए सक्षम हो सकेगी। इसके बाद उचित प्रक्रिया के तहत उस व्यक्ति को पाकिस्तान की हिरासत में स्थानांतरित किया जा सकता है।
पाकिस्तान उस देश की कानूनी प्रक्रिया के जरिये जांच या कार्यवाही से जुड़ी संपत्तियों को जब्त या कुर्क भी कर सकता है। सदन में इस विधेयक को संसदीय कार्य राज्य मंत्री अली मुहम्मद खान ने पेश किया। बिल का विरोध करते हुए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के संसदीय नेता सैय्यद नावेद कमर ने विधेयक को पाकिस्तान के नागरिकों के मूल अधिकारों के खिलाफ बताया। उन्होंने दावा किया कि इस बिल को मंजूरी मिलने के बाद सरकार विदेशों से सूचनाएं प्राप्त करने में जहां सक्षम हो जाएगी, वहीं बगैर किसी संधि पर हस्ताक्षर किए अपने नागरिकों को अन्य देशों की मांग पर प्रत्यर्पित भी कर सकेगी।
----------------
संघीय गृह सचिव को मिलेंगी असीम शक्तियां
यह विधेयक संघीय गृह सचिव को विदेशी बैंक खातों और किसी नागरिक द्वारा किए गए लेनदेन के बारे में सूचना मांगने की असीम शक्तियां देगा। पीएमएल (एन) ने भी विधेयक का विरोध किया और आरोप लगाया कि पाकिस्तान जैसे देशों को उपनिवेश बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा कोशिशें की जा रही हैं, क्योंकि यह देश (पाकिस्तान) उन पर वित्तीय रूप से निर्भर है।