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आर्थिक सर्वे ने खोली इमरान की पोल, कंगाल होने की कगार पर खड़ा पाकिस्तान

आर्थिक सर्वे के मुताबिक पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर इस साल 3.3 फीसदी रहने की उम्मीद जताई गई है।

By ShashankpEdited By: Published: Sun, 09 Jun 2019 01:07 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jun 2019 01:58 PM (IST)
आर्थिक सर्वे ने खोली इमरान की पोल, कंगाल होने की कगार पर खड़ा पाकिस्तान
आर्थिक सर्वे ने खोली इमरान की पोल, कंगाल होने की कगार पर खड़ा पाकिस्तान

इस्लामाबाद, पीटीआइ। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का हाल इनदिनों पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। पाकिस्तान की बद से बदतर हो रही अर्थव्यवस्था की पोल एकबाऱ फिर से खुल गई है। चीन को गधे बेचकर अपनी अर्थव्यवस्था चला रहे पाकिस्तान को इस आर्थिक सर्वे ने बड़ा झटका दिया है।

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आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, जून में खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष में पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि पाकिस्तान के लक्ष्य जो कि 6.3 प्रतिशत के लक्ष्य से काफी नीचे है।इतना ही नहीं पाकिस्तानी आवाम को नया पाकिस्तान दिखाकर सपने दिखाने वाली इमरान सरकार लगभग सभी सेक्टरों में लक्ष्यों को पूरा करने में पूरी तरह विफल रही है।

11 जून को आने वाले बजट से एक दिन पहले आधिकारिक तौर पर जारी किए जाने वाले आर्थिक सर्वेक्षण के विवरण रविवार को पाकिस्तानी अखबार डॉन द्वारा प्रकाशित किए गए थे।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि पशुधन एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जिसकी वृद्धि आधिकारिक लक्ष्य से थोड़ी अधिक है, जबकि अन्य सभी सेक्टरों ने उम्मीद से काफी खराब प्रदर्शन किया है।

पाकिस्तान सरकार के इस प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने कहा, 'प्रधानमंत्री इमरान खान को पीएमएल-एन के पहले साल के आर्थिक सर्वेक्षण को पढ़ना चाहिए और प्रदर्शन के बीच अंतर को सीखना चाहिए।

उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान का 2018-2019 का आर्थिक सर्वेक्षण इमरान खान की अक्षमता, विफलता और अक्षमता का एक प्रमाण है।'

बता दें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान गिरती अर्थव्‍यवस्‍था को थामने में जी-जान से जुट गए हैं। इस कवायद में वह तमाम विभागों और मंत्रालयों के बजट में कटौती कर रहे हैं। उन्‍होंने देश के रक्षा बजट में कटौती करने की योजना बनाई है। उन्‍होंने कहा है कि अर्थव्‍यवस्‍था को दुरुस्‍त करने के उपायों पर सेना ने सहमति जताई है। सुरक्षा को लेकर तमाम चुनौतियों के बीच सेना अगले वित्तीय वर्ष के लिए रक्षा बजट को कम करने पर रजामंद हो गई है।

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