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पाक कोर्ट का फरमान-हिंदू बहनों का जबरन नहीं हुआ धर्मांतरण

पाक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अख्तर मिन्नल्लाह ने पांच सदस्यीय आयोग का गठन करके इन हिंदू बहनों के बलपूर्वक या स्वेच्छा से इस्लाम कबूल करने के संबंध में जांच बैठा दी थी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 05:19 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 05:19 PM (IST)
पाक कोर्ट का फरमान-हिंदू बहनों का जबरन नहीं हुआ धर्मांतरण
पाक कोर्ट का फरमान-हिंदू बहनों का जबरन नहीं हुआ धर्मांतरण

इस्लामाबाद, प्रेट्र । पाकिस्तान के एक हाईकोर्ट ने बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन कराकर मुसलमान बनाई गई दो सगी हिंदू बहनों अपने 'शौहरों' के साथ रहने का फरमान सुनाया है। अदालत ने कहा कि इन दोनों हिंदू किशोरियों को इस्लाम जबरदस्ती कुबूल नहीं कराया गया है।

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दो किशोरी बहनों रवीना (13) और रीना (15) और उनके पतियों ने विगत 25 मार्च को इस्लामाबाद हाईकोर्ट में इन हिंदू किशोरियों के पिता और भाइयों के खिलाफ याचिका दायर की थी। हिंदू लड़कियों के परिजनों का आरोप है कि इन नाबालिग लड़कियों को अपहृत करके बलपूर्वक उनसे इस्लाम कुबूल कराया गया है और उसके बाद मुसलमानों से शादी करा दी गई।

पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार डॉन के अनुसार इस याचिका में सिंध प्रांत की रहनेवाली घोटकी जाति के हिंदू परिवार की इन लड़कियों ने दावा किया है कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल किया है और मुसलमानों से शादी की है। चूंकि वह इस्लामी शिक्षा से प्रभावित हुई हैं। हालांकि लड़की के घरवालों के वकील ने कहा कि यह मामला जबरन धर्म परिवर्तन कराने का है।

पाकिस्तानी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अख्तर मिन्नल्लाह ने पांच सदस्यीय आयोग का गठन करके इन हिंदू बहनों के बलपूर्वक या स्वेच्छा से इस्लाम कबूल करने के संबंध में जांच बैठा दी थी। इस आयोग में मानवाधिकार आयोग की मंत्री शिरीन मजारी, प्रख्यात मुस्लिम विद्वान मुफ्ती तकी उस्मानी, पाकिस्तानी मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष डॉ. मेहंदी हसन, महिला आयोग की अध्यक्ष ख्वार मुमताज और पत्रकार आइए रहमान को शामिल किया गया। इन सभी अपनी जांच में यह निष्कर्ष निकाला कि धर्म परिवर्तन जबरदस्ती नहीं कराया गया है।


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