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पाकिस्तान ने अमेरिका को दिखाया ठेंगा, लोकतंत्र सम्मेलन में शामिल नहीं होने को लेकर दी दलील

पाकिस्तान सरकार के लिए अमेरिका का यह न्योता ठुकराना इसलिए भी जरूरी हो गया क्योंकि लोकतंत्र से चलने वाले देशों के सम्मेलन में चीन को तो नहीं बुलाया गया था लेकिन ताइवान को आमंत्रित किया गया। अमेरिका ने इस वर्चुअल सम्मेलन में पाकिस्तान समेत सौ देशों को आमंत्रित किया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 16 Dec 2021 05:39 PM (IST)Updated: Thu, 16 Dec 2021 05:39 PM (IST)
पाकिस्तान ने अमेरिका को दिखाया ठेंगा, लोकतंत्र सम्मेलन में शामिल नहीं होने को लेकर दी दलील
पाक पीएम इमरान खान और अमेरि‍की राष्‍ट्रपत‍ि जो बाइडन

 इस्लामाबाद, आइएएनएस। चीन की चाकरी करने में व्यस्त पाकिस्तान ने लोकतांत्रिक सम्मेलन में अमेरिका के न्योते को ठुकराने के लिए अपने 'साम्यवादी मित्र देश' की आड़ ली है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अमेरिका की ओर से आयोजित लोकतंत्र सम्मेलन में शामिल नहीं होने की वजह चीन को बताया है। उन्होंने अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन से कहा कि चीन को सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किए जाने की वजह से उन्हें यह फैसला लेना पड़ा। इसी कारण पाकिस्तान इस आमंत्रण को स्वीकार नहीं कर सका।

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लोकतंत्र सम्मेलन में शामिल नहीं होने के लिए चीन को नहीं बुलाने की दी दलील

सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान सरकार के लिए अमेरिका का यह न्योता ठुकराना इसलिए भी जरूरी हो गया क्योंकि लोकतंत्र से चलने वाले देशों के सम्मेलन में चीन को तो नहीं बुलाया गया था, लेकिन ताइवान को आमंत्रित किया गया। अमेरिका ने इस वर्चुअल सम्मेलन में पाकिस्तान समेत सौ देशों को आमंत्रित किया था। पाकिस्तान उन चार एशियाई देशों में शामिल था जिन्हें बाइडन प्रशासन ने आमंत्रित किया था।

पाकिस्तान सरकार ने अमेरिका को नाराज करने वाले इस फैसले को लेने से पहले आपस में तो विचार-विमर्श किया ही था, लेकिन विस्तृत मंथन चीन के साथ किया गया था। इस फैसले को बाद में चीन ने पाकिस्तान को उसका 'सच्चा लौह बिरादर' कह कर पुष्ट किया था। हालांकि पाकिस्तानी अधिकारी अब तक इस फैसले को चीन से जोड़ने से बचते रहे थे। लेकिन चीन को नाराज करके इस सम्मेलन में शामिल होने की हिम्मत वह नहीं दिखा सके।

अमेरिकी उप विदेश मंत्री से पाक विदेश मंत्री कहा-ताइवान को बुलाने से बढ़ा दबाव

अलबत्ता पाकिस्तानी विदेश कार्यालय यह कहता रहा कि वह अमेरिका से अपने रिश्तों को बहुत अहमियत देता है और इसे आगे भी बढ़ाना चाहता है। उल्लेखनीय है कि एकल पार्टी के शासन वाले देश चीन का लोकतंत्र से कोई लेना-देना नहीं है और सेना के इशारों पर चलने वाली पाकिस्तान सरकार की लोकतंत्र में कोई विशेष रुचि भी नहीं है। हालांकि कुरैशी की अमेरिकी विदेश मंत्री से बातचीत योजना के अनुरूप फलीभूत नहीं हुई। इस बातचीत में अमेरिकी विदेश मंत्री मौजूद नहीं रहे, बल्कि उनके स्थान पर फोन से उप विदेश मंत्री ने बातचीत की।


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