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इमरान खान के लिए एक और बड़ी मुश्किल, उनके इस्तीफे को लेकर विपक्षी दलों ने बनाया एक अलग गठबंधन

पाकिस्तान में विपक्षी दल के नेताओं ने इमरान सरकार के खिलाफ एक नया गठबंधन तैयार किया है। इस गठबंधन का नाम पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) रखा गया है। पाकिस्तान में अब सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 04:52 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 04:52 PM (IST)
इमरान खान के लिए एक और बड़ी मुश्किल, उनके इस्तीफे को लेकर विपक्षी दलों ने बनाया एक अलग गठबंधन
मुश्किल में फंसे पाक पीएम इमरान खान

इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए एक और बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। प्रधानमंत्री पद से इमरान खान के इस्तीफे की मांग और तेज हो गई। इमरान के खिलाफ पाकिस्तान में विपक्षी दल के नेताओं ने एक अलग गठबंधन बनाया है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की अगुवाई में आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन में 26 सूत्रीय संयुक्त प्रस्ताव को अंगीकार किया गया। सम्मेलन में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फज्ल समेत कई पार्टियां शामिल हुईं। विपक्षी दल के नेताओं द्वारा इसका नाम पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) रखा गया है। इमरान खान के शीर्ष सहायक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) असीम सलीम बाजवा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर अब उनकी कुर्सी खतरे में हैं।

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सरकार के खिलाफ निकाला जाएगा मार्च

पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) ने बताया कि अक्टूबर से शुरू होने वाली एक कार्य योजना के तहत उन्होंने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ तीन चरण के आंदोलन की घोषणा की है। विपक्षी दलों के इस गठबंधन द्वारा दिसंबर में भारी विरोध प्रदर्शन की योजना है और जनवरी 2021 में इस्लामाबाद की ओर एक मार्च निकाला जाएगा।

चुनाव में धांधली का आरोप

गठबंधन दल द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव में सेना का नाम लिए बिना आरोप लगाया गया है कि इमरान खान की सरकार को उसी संस्थान ने फर्जी स्थिरता दी है जिसने मौजूदा शासकों को सत्ता में लाने के लिए चुनाव में हस्तक्षेप किया था। शक्तिशाली फौज का जाहिर तौर पर संदर्भ देते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि मुल्क के अंदरूनी मामलों में संस्थान की बढ़ती दखलअंदाजी बेहद चिंतनीय है और इसे देश की स्थिरता तथा संस्थानों के लिए बड़ा खतरा है।

प्रस्ताव में देश में दोबारा पारदर्शी तरीके से चुनाव कराने और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव सुधारों को लागू करने की मांग की गई है। इसके अलावा देश में राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार लाने की कोशिशों को खारिज करते हुए संसदीय प्रणाली को मजबूत बनाने की वकालत की गई है। संसद को रबर स्टांप बताते हुए यह भी कहा गया है कि विधायी कार्यवाही में विपक्ष सरकार का सहयोग नहीं करेगा।


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