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कश्मीर मसले पर विदेश मंत्रियों की बैठक के पक्ष में नहीं ओआइसी, भड़का पाकिस्‍तान, धमकी दी

कश्मीर पर विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित करने के लिए पाक द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद ओआइसी ने इस तरह के किसी सम्मेलन के प्रति अनिच्छा दिखाई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 06:03 AM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 06:03 AM (IST)
कश्मीर मसले पर विदेश मंत्रियों की बैठक के पक्ष में नहीं ओआइसी, भड़का पाकिस्‍तान, धमकी दी
कश्मीर मसले पर विदेश मंत्रियों की बैठक के पक्ष में नहीं ओआइसी, भड़का पाकिस्‍तान, धमकी दी

इस्लामाबाद, पीटीआइ। कश्मीर पर विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित करने के लिए पाकिस्तान द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआइसी) ने इस तरह के किसी सम्मेलन के प्रति अनिच्छा दिखाई है। इससे परेशान पाकिस्तान ने धमकी दी है कि वह इस मसले पर अलग बैठक बुला सकता है। भारत द्वारा पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए 57 सदस्यीय संगठन पर जोर देता रहा है।

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ओआइसी संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंतरसरकारी निकाय है। पाकिस्तान के अनुरोध पर अब तक ओआइसी की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एआरवाई न्यूज से एक कार्यक्रम में कहा कि मैं एक बार फिर से ओआइसी से अनुरोध कर रहा हूं कि विदेश मंत्रियों की एक बैठक हमारी उम्मीद है। यदि आप इसे नहीं बुला सकते तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाने के लिए कहने को मजबूर हो जाऊंगा जो कश्मीर मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं।

उल्‍लेखनीय है कि पाकिस्‍तान वैश्विक मंचों पर कश्मीर मुद्दा उठाने में पहले भी कई बार नाकाम हो चुका है। इसके बावजूद वह अपनी हरकतों से बाज आता नहीं दिख रहा है। अभी बीते बुधवार को ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने कहा था कि वह सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दा उठाना जारी रखेंगे। खान ने दावा किया कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल सहित विश्व नेताओं को व्यक्तिगत रूप से कश्मीर के बारे में अवगत कराया है।

हालांकि वह स्‍वीकार भी करते हैं कि विश्व मंच पर कश्मीर मुद्दे पर उन्हें उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। इसका कारण पश्चिमी देशों के भारत में व्यावसायिक हित हैं। हालांकि भारत स्पष्ट कर चुका है कि अनुच्छेद 370 को रद करना उसका आंतरिक विषय है। भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने गुरुवार को पड़ोसी देशों समेत सभी राष्ट्रों को सलाह दी कि वे भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से बचें। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करना देश की एकता, अखंडता एवं सम्प्रभुता की रक्षा के लिए लिया गया फैसला है। 


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