मुशर्रफ को राहत, लाहौर हाईकोर्ट ने राजद्रोह मामले की कार्यवाही पर रोक लगाने के निर्देश दिए
लाहौर हाईकोर्ट ने पाकिस्तान सरकार को निर्देश दिया है कि वह पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के खिलाफ विशेष अदालत में चल रहे राजद्रोह के मामले की कार्यवाही पर रोक लगाए।
लाहौर, आइएएनएस। लाहौर हाईकोर्ट (Lahore High Court) ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) की याचिका पर पाकिस्तान सरकार को नोटिस जारी कर निर्देश दिया है कि वह इस्लामाबाद की विशेष अदालत के समक्ष लंबित राजद्रोह मामले की कार्यवाही पर रोक लगाए। अपने आवेदन में मुशर्रफ (Musharraf's application) ने हाईकोर्ट से गुजारिश की है कि वह विशेष अदालत में उनके खिलाफ राजद्रोह के मामले में लंबित सभी कार्यवाहियों को असंवैधानिक करार दे। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
बता दें कि तीन सदस्यीय विशेष अदालत इस चर्चित एवं बहुप्रतीक्षित राजद्रोह मामले में कल यानी मंगलवार को अपना फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद मामले में नया मोड़ आ गया है। इससे पहले इस्लामाबाद हाईकोर्ट (Islamabad High Court) ने विशेष अदालत को फैसला नहीं सुनाने का आदेश दिया था। मालूम हो कि विशेष अदालत मुशर्रफ के खिलाफ चल रहे राजद्रोह मामले में 28 नवंबर को अपना फैसला सुनाने वाली थी। लेकिन इससे एक दिन पहले ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसला सुनाने से रोक दिया था।
मुशर्रफ (Pervez Musharraf) की ओर से लाहौर हाईकोर्ट (Lahore High Court) में यह आवेदन 14 दिसंबर को उनके वकील ख्वाजा अहमद तारिक रहीम (Khawaja Ahmad Tariq Raheem) और अजहर सिद्दीकी (Azhar Siddique) ने दायर किया था। सरकार को नोटिस जारी करते हुए लाहौर हाईकोर्ट ने आवेदन को सुनवाई के लिए मुख्य याचिका के साथ सुनने का फैसला किया। बता दें कि विशेष अदालत ने भी सरकार अभियोग दल की दलीलें सुनने के बाद कहा था कि वह इस मामले में 17 दिसंबर को अपना फैसला देगी।
उल्लेखनीय है कि मुशर्रफ पर तीन नवंबर 2007 को अतिरिक्त संवैधानिक आपातकाल लागू करने के आरोप हैं। पाकिस्तान की पीएमएल-एन सरकार (Pakistan Muslim League-Nawaz, PML-N) ने उनके खिलाफ साल 2013 में यह मामला दर्ज किया था। इस मामले की सुनवाई विशेष अदालत की जस्टिस वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय ट्रिब्यूनल ने की है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, यदि मुशर्रफ को इस मामले में दोषी करार दिया जाता है तो उन्हें फांसी की सजा हो सकती है। पाकिस्तान के इतिहास में मुशर्रफ ऐसे पहले सेना प्रमुख हैं जिनपर 31 मार्च 2014 को देशद्रोह के मामले में आरोप तय किए गए हैं।