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टास्क फोर्स ने पाक को सुनाई खरी-खरी, आतंकी फंडिंग रोकने के लिए नहीं हो रही कार्रवाई

दानदाताओं में बड़ी संख्या में कर न चुकाने वाले लोग हैं जिससे उनके आय-व्यय की कोई जानकारी सरकार के पास नहीं है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 10:25 PM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 12:06 AM (IST)
टास्क फोर्स ने पाक को सुनाई खरी-खरी, आतंकी फंडिंग रोकने के लिए नहीं हो रही कार्रवाई
टास्क फोर्स ने पाक को सुनाई खरी-खरी, आतंकी फंडिंग रोकने के लिए नहीं हो रही कार्रवाई

इस्लामाबाद, प्रेट्र। आतंकियों को धन और शरण मुहैया कराने के आरोप झेल रहे पाकिस्तान को एक और झटका लगा है। आतंकी संगठनों के आर्थिक तंत्र की जांच करने गई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की टीम को पाकिस्तान में ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे लगे कि पाक आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। टीम ने पाकिस्तान के रुख पर नाखुशी जाहिर की है। आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली इस वैश्विक संस्था ने फिलहाल पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में डाल रखा है। चेतावनी दी है कि सुधार न होने पर पाकिस्तान को 'ब्लैक लिस्ट' में डाल दिया जाएगा।

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संस्था की रिपोर्ट का वैश्विक संगठनों की आर्थिक सहायता, औद्योगिक पूंजी निवेश व अन्य तरह की सहायता में काफी महत्व होता है। टास्क फोर्स की इस ताजा रिपोर्ट का पाकिस्तान की खस्ताहाल आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ सकता है। क्योंकि पाकिस्तान आइएमएफ और कुछ अन्य संस्थाओं से आर्थिक सहायता लेकर अपनी माली हालत में सुधार की कोशिश कर रहा है, तभी यह रिपोर्ट आ गई है।

पेरिस में जून में हुई बैठक में पाकिस्तान ने आर्थिक तंत्र में सुधार करके आतंकी संगठनों की फंडिंग रोकने और धन के अवैध लेन-देन पर रोक लगाने का आश्वासन दिया था। लेकिन हाल के महीनों में पाकिस्तान आई टास्क फोर्स की दो टीमों को इसके लिए कुछ होता हुआ नहीं मिला। दूसरी टीम का दौरा पिछले हफ्ते पूरा हुआ है।

समाचार पत्र डॉन के मुताबिक टास्क फोर्स की टीम आतंकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान के प्रयासों से खुश नहीं हुई। उसने पाया कि आतंकी फंडिंग रोकने के लिए पाकिस्तान ने जो प्रयास किए हैं और कानूनी ढांचा बनाया है, वह कुछ खास कर पाने में नाकाफी है। यह ढांचा आतंकी फंडिंग के सुगठित तंत्र को खत्म कर पाने में सक्षम नहीं है।

इस तंत्र में सामाजिक व धार्मिक संगठन, मानवीय सहायता देने वाले संगठन, गैर सरकारी संगठन और दानदाता शामिल हैं। दानदाताओं में बड़ी संख्या में कर न चुकाने वाले लोग हैं जिससे उनके आय-व्यय की कोई जानकारी सरकार के पास नहीं है। 


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