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MODI IN US: नवाज की तरह इमरान को भी कश्मीर के मामले पर UNGA में मिलेगी हार

इससे पहले नवाज शरीफ भी कश्मीर के मुद्दे को UNGA में उठा चुके हैं उनको भी हार मिली थी। अब इमरान को भी हार मिलनी तय है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 06:05 PM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 08:10 PM (IST)
MODI IN US: नवाज की तरह इमरान को भी कश्मीर के मामले पर UNGA में मिलेगी हार
MODI IN US: नवाज की तरह इमरान को भी कश्मीर के मामले पर UNGA में मिलेगी हार

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भी UNGA की मीटिंग से हार ही मिलने वाली है। ये बात वो अच्छी तरह से जानते हैं। एक तरह से वो इस मुद्दे पर हार मान चुके हैं मगर पाकिस्तानियों के लिए वो इस मुद्दे को इस मंच पर उठाएंगे। कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के मुद्दे को उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश तो की मगर वो उसमें कामयाब नहीं हो पाए। हर देश से उन्हें निराशा ही हाथ लगी। तो मुस्लिम देशों का साथ मिला ना ही यूरोपियन कंट्रीज का। यहां तक की अमेरिका ने पहले इसे दोनों देशों के बीच का आंतरिक मामला बता दिया, उसके बाद मध्यस्थता करने की भी बात कही मगर फिर डोनल्ड ट्रंप ने अपना बयान बदला, कहा कि यदि पीएम नरेंद्र मोदी राजी होंगे तो वो बात करेंगे अन्यथा नहीं।

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ये पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान की ओर से कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने और उसको UNGA की मीटिंग में उठाने की कोशिश की गई है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी कश्मीर के मसले को UNGA में उठा चुके हैं मगर उनको भी वहां से निराशा ही मिली थी। इससे पहले नवाज शरीफ गए थे UNGA की मीटिंग में हिस्सा लेने, इस मीटिंग में हिस्सा लेने के बाद वो वहां रह रहे अपने बेटों से मिलकर खाली हाथ वापस लौट आए थे। 

नवाज की उम्मीदों पर उरी हमले ने फेर दिया था पानी 

उरी हमला 18 सितम्बर 2016 को जम्मू -कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर हुआ था। यह एक आतंकी हमला था जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे। सैन्य बलों की कार्रवाई में सभी चार आतंकी मारे गए थे। यह भारतीय सेना पर 20 सालों में किया गया सबसे बड़ा हमला था। उरी हमले में सीमा पार बैठे आतंकियों का हाथ बताया गया है। इनकी योजना के तहत ही सेना के कैंप पर फिदायीन हमला किया गया। हमलावरों के द्वारा निहत्थे और सोते हुए जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गयी थी ताकि ज्यादा से ज्यादा जवानों को मारा जा सके।

अमेरिका ने उरी हमले को "आतंकवादी" हमला करार दिया था। उरी हमले का बदला भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक से लिया। पाकिस्तान के ही एक अंग्रेजी अखबार ने माना था कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को वह सफलता नहीं मिली जो वो चाहते थे। संयुक्त राष्ट्र महासभा में संबोधन से ठीक पहले हुए उड़ी हमले ने पाकिस्तान की मेहनत पर पानी फेर दिया।

होने लगी थी न्यूक्लियर वार की चिंता 

उरी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था, दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव से दुनिया के अन्य देशों को इस क्षेत्र में परमाणु युद्ध छिड़ने की आशंका तक लगने लगे थे। उरी हमले के बाद आतंकवाद का मुद्दा सभी पर बुरी तरह से हावी हो गया और पाक अपनी मुहिम में नाकामयाब रहा।

कश्मीर पर कई देशों से मांगा सपोर्ट 

UNGA के दौरान पीएम नवाज शरीफ ने कुछ मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों से भी अलग से मुलाकात कर कश्मीर के मुद्दे पर उनका सहयोग मांगा था। ठीक वैसा ही काम इमरान खान भी कर चुके हैं। नवाज की अपील को तो कुछ देशों ने माना भी था मगर इमरान के साथ कोई नहीं खड़ा हुआ।

दुनिया से आतंक खत्म करना भारत का मकसद 

भारत का मकसद आतंकवाद को पूरी दुनिया से खत्म करना है, इस पर भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का जबरदस्त समर्थन हासिल हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत के साथ मिलकर आतंकवाद को खत्म करने पर सहमति व्यक्त कर रहा है। 

नवाज के शब्दों में छलका था हार का दर्द, इमरान को भी मिलेगी हार 

पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ ने UNGA में दिए गए अपने भाषण में कश्मीर के मुद्दे को प्राथमिकता देकर उसको अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश की थी लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हो सके। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, चीन के राष्ट्राध्यक्ष समेत किसी ने भी पाकिस्तान का इस मुद्दे पर समर्थन नहीं किया था।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर मिली इस करारी हार से यह भी साफ हो गया कि बाहरी दुनिया कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा नहीं मानती है। इस हार के बौखलाए नवाज ने यहां तक कहा था कि दुनिया पाकिस्तान द्वारा बार बार उठाए जा रहे कश्मीर के मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रही है। अब ये भी माना जा रहा है कि जब उस समय नवाज की ओर से उठाए गए मुद्दे पर किसी ने समर्थन नहीं किया तो अब इमरान खान को समर्थन कैसे मिलेगा? उनको भी वहां से खाली हाथ ही लौटना पड़ेगा।  

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