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स्वीडन में नदी में तैरता मिला बलोच पत्रकार का शव, पाकस्‍तानी खुफ‍िया एजेंसी आइएसआइ पर शक

स्वीडन में रह रहे पाकिस्तान के निर्वासित पत्रकार साजिद हुसैन का शव उपासला शहर की फाइरिस नदी में मिला है। इस हत्‍याकांड में आइएसआइ के हाथ होने का शक जताया जा रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 01 May 2020 11:49 PM (IST)Updated: Sat, 02 May 2020 12:01 AM (IST)
स्वीडन में नदी में तैरता मिला बलोच पत्रकार का शव, पाकस्‍तानी खुफ‍िया एजेंसी आइएसआइ पर शक
स्वीडन में नदी में तैरता मिला बलोच पत्रकार का शव, पाकस्‍तानी खुफ‍िया एजेंसी आइएसआइ पर शक

स्टॉकहोम, एएफपी। स्वीडन में रह रहे पाकिस्तान के निर्वासित पत्रकार साजिद हुसैन का शव उपासला शहर की फाइरिस नदी में मिला है। स्वीडन पुलिस के अनुसार दो मार्च से गायब साजिद का शव 23 अप्रैल को मिला। वह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के मूल निवासी थे और अपनी पत्रिका के जरिये वहां सरकार की ओर से होने वाली ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठाते थे। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक पत्रकार साजिद हुसैन की हत्या में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के शामिल होने का शक है।

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स्वीडिश पुलिस के प्रवक्ता के अनुसार साजिद हुसैन उपासला के एक कॉलेज में अंशकालिक प्रोफेसर के रूप में काम करते थे। लेकिन वह बलूचिस्तान टाइम्स के प्रधान संपादक थे। इस ऑनलाइन पत्रिका में मुख्य रूप से बलूचिस्तान में नशीले पदार्थों की तस्करी, सुरक्षा बलों द्वारा गायब किए जाने की खबरें और लंबे समय से चल रही अराजक स्थिति की खबरें दर्ज होती हैं। पोस्टमार्टम में साजिद के साथ कुछ गलत होने के सुबूत मिले हैं। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने आत्महत्या या हादसे के अंदेशे से भी इन्कार नहीं किया है।

साजिद को आखिरी बार स्टॉकहोम से उपासला के लिए ट्रेन से जाते हुए देखा गया था। वह 2017 में स्वीडन आए थे और उसके दो साल बाद उन्हें वहां राजनीतिक शरण मिली थी। इस मामले में पाकिस्‍तान की ओर से अभी कोई भी बयान सामने नहीं आया है। बता दें कि पाकिस्‍तान में मानवाधिकार को लेकर आवाज उठाने वालों के साथ बेहद बुरा बर्ताव किया जाता है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने देश में मानवाधिकारों के हनन के मामलों में चिंताजनक करार दिया है। 

पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि बीते वर्ष जिस तरह की घटनाएं हुईं उनमें राजनीतिक असहमति को दबाने के लिए मानवाधिकारों के खिलाफ जाकर कार्रवाई की गईं। गुरुवार को सार्वजनिक की गई पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2019 राजनीतिक असहमति को सोची-समझी रणनीति के तहत कुचलने के लिए याद किया जाएगा। इस दौरान मुख्यधारा के मीडिया पर प्रहार किया गया।


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