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खतरे में इमरान की कुर्सी, अयोग्य ठहराने के लिए लाहौर हाईकोर्ट में याचिका सोमवार को होगी सुनवाई

साल 2018 में हुए आम चुनावों के दौरान अपने नामांकन पत्र में एक और महिला साथी के साथ कथित तौर पर हुई बेटी के पितृत्व के बारे में छिपाया था।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Sat, 09 Mar 2019 05:29 PM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2019 06:23 PM (IST)
खतरे में इमरान की कुर्सी, अयोग्य ठहराने के लिए लाहौर हाईकोर्ट में याचिका सोमवार को होगी सुनवाई
खतरे में इमरान की कुर्सी, अयोग्य ठहराने के लिए लाहौर हाईकोर्ट में याचिका सोमवार को होगी सुनवाई

लाहौर, प्रेट्र। सोमवार को लाहौर उच्च न्यायालय में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से जुड़े एक मामले की सुनवाई होने वाली है। लाहौर हाई कोर्ट में एक याचिका डाली गई है जिसमे इमरान खान पर ईमानदार और अधर्मी न होने का आरोप लगाया गया है। साल 2018 में हुए आम चुनावों के दौरान अपने नामांकन पत्र में एक और महिला साथी के साथ कथित तौर पर हुई बेटी के पितृत्व के बारे में छिपाया था। अगर ये आरोप सही साबित हो गए तो कोर्ट इमरान को अयोग्य भी ठहरा सकता है जिसके चलते उन्हें पीएम की कुर्सी भी गंवानी पड़ सकती है।

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हाई कोर्ट ने शनिवार को संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के प्रावधानों का उल्लंघन करने के मामले में इमरान को अयोग्य ठहराने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए मुहर लगा दी है, अब सोमवार को कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करेगा। पाक संविधान के मुताबिक अनुच्छेद 62 और 63 के प्रावधानों के तहत संसद सदस्य को अपनी सदस्यता से पहले स्वयं को ईमानदार और धर्मी घोषित करना पड़ता है। 11 मार्च को सुनी जाने वाली याचिका में दावा किया गया है कि खान ने 2018 के आम चुनावों के लिए अपने नामांकन पत्र में अपनी कथित बेटी टायरियन जेड खान वाइट के बारे में छिपाया था। आपको बता दें कि टायरिन एना लुइसा (सीता) वाइट और स्वर्गीय लार्ड गार्डन वाइट की बेटी हैं। जबकि रिपोर्ट्स की मानें तो कथित तौर पर टायरिन इमरान की बेटी हैं।

डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक याचिका में कहा गया है, 'इमरान ने अपने नामांकन पत्रों में अपने आश्रितों में अपनी कथित बेटी वाइट का जिक्र नहीं किया था और इस प्रकार से वह संविधान के आर्टिकल 62 और 63 के तहत योग्य साबित नहीं होते हैं। ऐसे में इमरान को अयोग्य घोषित किया जाए।' आपको बता दें कि इस मामले में इससे पहले भी इमरान को लेकर इस्लामाबाद हाई कोर्ट में ऐसी याचिका दाखिल की गई थी लेकिन कोर्ट ने इसे व्यक्तिगत मामला बताते हुए खारिज कर दिया था। 


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