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जानें आखिर पाकिस्‍तान के किस्‍सा ख्‍वानी इलाके से भारत का है क्‍या गहरा नाता

किस्‍सा ख्‍वानी बाजार के भारत से गहरा नाता होने के पीछे बॉलीवुड है। बॉलीवुड की निगाह से देखें तो दर्जनभर नाम ऐसे हैं जिनका जन्‍म पाकिस्‍तान में हुआ और उन्‍होंने बॉलीवुड को एक नई पहचान दी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 25 Dec 2018 12:23 PM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 08:08 PM (IST)
जानें आखिर पाकिस्‍तान के किस्‍सा ख्‍वानी इलाके से भारत का है क्‍या गहरा नाता
जानें आखिर पाकिस्‍तान के किस्‍सा ख्‍वानी इलाके से भारत का है क्‍या गहरा नाता

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पाकिस्‍तान का किस्‍सा ख्‍वानी बाजार का इलाका कुछ दिनों से लगातार सुर्खियां बटोर रहा है। इस इलाके का सीधा संबंध भारत के वर्तमान से है। दरअसल, किस्‍सा ख्‍वानी बाजार के भारत से गहरा नाता होने के पीछे बॉलीवुड है। बॉलीवुड की निगाह से देखें तो दर्जनभर नाम ऐसे हैं जिनका जन्‍म पाकिस्‍तान में हुआ और उन्‍होंने बॉलीवुड को एक नई पहचान दी। उनकी यह पहचान आज भी कायम है। यह न सिर्फ भारत में एक समान तौर पर लोगों के चहेते हैं बल्कि पाकिस्‍तान में भी इन्‍हें पलकों पर बिठाया जाता है। इनमें से ही दो नाम ऐसे हैं जिनका सीधा संबंध यहां के किस्‍सा ख्‍वानी इलाके से है। इनमें पहला नाम शोमैन राजकपूर और दूसरा नाम ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का है।

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कैसे पड़ा किस्‍सा ख्‍वानी नाम 
आज का पेशावर कभी किस्‍सा ख्‍वानी के नाम से जाना जाता था। आगे बढ़ने से पहले आपको जरा किस्‍सा ख्‍वानी इलाके के पीछे की कहानी बता देते हैं। किस्‍सा ख्‍वानी इलाका आज भी उस दौर की याद को बरकरार रखे हुए जो कभी एक देश भारत का प्रतीक हुआ करता था। संकरी सी गलियों के बीच आज भी जहां-तहां उस दौर की बनी हवेलियां देखने को मिल जाएंगी। इस इलाके का नाम भी अपनी ही एक अलग कहानी बयां करता है। दरअसल, यहां मध्य एशिया के यात्रियों और व्यापारी किस्सा सुनाने के लिए इक्ट्ठा होते थे। इलाके के लोग भी इन्‍हें दिलचस्‍पी लेकर सुना करते थे। यही वजह थी कि इसका नाम ही किस्‍सा ख्‍वानी बाजार पड़ गया।

दो खास हवेलियां
यहां स्थित राजकपूर और दिलीप कुमार की हवेली के बीच भी सीधा संबंध है। असल में यह दोनों ही बचपन के दोस्‍त रहे हैं। बॉलीवुड में कदम रखने से पहले से ये दोनों साथ रहे। फिर चाहे इनकी पढ़ाई की बात करें या बॉलीवुड में कदम रखने की, लगभग आगे पीछे ही रहे। हाल ही में पाकिस्‍तान की खैबर-पख्‍तूनख्‍वां की प्रांतीय सरकार ने इन दोनों कलाकारों की पुश्‍तैनी हवेलियां समेत कुल 25 संपत्तियों के खरीदने की योजना को पास कर दिया है। इनमें वह संपत्तियां शामिल हैं जो देश के बंटवारे से पहले बनी थीं और जिन्‍हें राष्‍ट्रीय धरोहर करार दिया गया है। सरकार ने इस संपत्तियों को खरीदने के लिए 61 करोड़ रुपये का बजट तय किया है। पुरातत्व विभाग को इन इमारतों के टिकाऊपन पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए 70 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा। रिपोर्ट की मंजूरी के बाद इन्हें खरीदने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यहां कुल 77 इमारतें ऐसी हैं जिन्हें राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जा चुका है। इनमें से 52 इमारतें पहले से ही सरकार के मालिकाना हक में हैं, जबकि 25 इमारतों पर निजी लोगों का स्वामित्व है।

राजकपूर की पुश्‍तैनी हवेली
बता दें कि राजकपूर का पैतृक घर कपूर हवेली के नाम से प्रसिद्ध किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित है, जिसका निर्माण ब्रिटिश कालीन भारत के विभाजन से पहले 1918 और 1922 के बीच हुआ था। इस हवेली का निर्माण राजकपूर के दादा दीवान बशेश्वरनाथ कपूर ने कराया था। राज कपूर का जन्म इसी हवेली में 14 दिसंबर 1924 को हुआ था। अभिनेता-निर्देशक राज कपूर को 1950 और 1960 के दशक में कई हिट फिल्मों के लिये जाना जाता है। 1947 में विभाजन के बाद कपूर परिवार ने पेशावर छोड़ दिया था। यहीं पर राजकपूर के चाचा त्रिलोक कपूर का भी जन्‍म हुआ था। खैबर-पख्‍तूनख्‍वा की प्रांतीय सरकार ने इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया है। इसी वर्ष नवंबर में पाकिस्‍तान के मंत्री ने कहा था कि सरकार ने अभिनेता ऋषि कपूर ने गुजारिश की थी कि उनकी पुश्‍तैनी हवेली को संरक्षित कर म्‍यूजियम बना दिया जाए, जिसको सरकार ने मंजूर कर लिया।

दिलीप कुमार की हवेली 
वहीं, मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार का पैतृक घर पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में है। यह 100 साल से भी अधिक पुराना और जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। 2014 में नवाज शरीफ सरकार ने इसे संघीय पुरावशेष अधिनियम के तहत राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था। 1980 में उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया। 1995 में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1998 में उन्हे पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ भी प्रदान किया गया। दिलीप कुमार के जन्म का नाम मुहम्मद युसुफ खान है।

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