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पाकिस्तान की खैबर-पख्तूंख्वा सरकार खरीदेगी राज कपूर व दिलीप कुमार का पुश्तैनी घर

पाकिस्तान के खैबर-पख्तूंख्वा की प्रांतीय सरकार ने बॉलीवुड के पुराने सितारों राज कपूर और दिलीप कुमार के पुश्तैनी घरों को खरीदने का फैसला किया है। ताकि उसे ऐतिहासिक इमारत घोषित करके उसका पुनरुद्धार किया जा सके। जर्जर हो चुकी इमारतों के गिरने का खतरा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 07:48 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 07:24 AM (IST)
पाकिस्तान की खैबर-पख्तूंख्वा सरकार खरीदेगी राज कपूर व दिलीप कुमार का पुश्तैनी घर
राज कपूर और दिलीप कुमार की फाइल फोटो।

पेशावर, प्रेट्र। पाकिस्तान के खैबर-पख्तूंख्वा की प्रांतीय सरकार ने बॉलीवुड के पुराने सितारों राज कपूर और दिलीप कुमार के पुश्तैनी घरों को खरीदने का फैसला किया है। ताकि उसे ऐतिहासिक इमारत घोषित करके उसका पुनरुद्धार किया जा सके। इन जर्जर हो चुकी इमारतों के गिरने का खतरा है।

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पुरातत्व विभाग कर रहा है जर्जर हवेलियां के लिए रकम का इंतजाम

खैबर-पख्तूंख्वा के पुरातत्व विभाग ने पेशावर के बीचोंबीच स्थित इन दोनों इमारतों को खरीदने का फैसला किया है। इसके लिए वह धन की व्यवस्था कर रहे हैं।

पेशावर स्थित इन दोनों इमारतों को घोषित किया जा चुका है राष्ट्रीय धरोहर

इन दोनों इमारतों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जा चुका है। इस सिलसिले में पेशावर के डिप्टी कमिश्नर को आधिकारिक पत्र भेजा गया है ताकि इन दोनों इमारतों का मूल्यांकन किया जा सके।

बंटवारे से पहले भारतीय सिनेमा की दोनों हस्तियों ने शुरुआती जीवन पेशावर के इन्हीं घरों में गुजारे थे

पुरातत्व विभाग के प्रमुख डॉ. अब्दुस समद खान ने कहा कि बंटवारे से पहले भारतीय सिनेमा की इन दोनों हस्तियों ने अपने जीवन के शुरुआती दिन पेशावर के इन्हीं घरों में गुजारे थे। राज कपूर के पैतृक घर का नाम कपूर हवेली है जो फब्लेद किस्सा ख्वानी बाजार में स्थित है। इसका निर्माण उनके बाबा दीवान बशेश्वरनाथ कपूर ने वर्ष 1918 और 1922 के बीच करवाया था। राज कपूर और उनके चाचा त्रिलोक कपूर का जन्म इसी इमारत में हुआ था।

दिलीप कुमार का सौ साल से भी ज्यादा पुराना घर जर्जर है

इसी तरह वयोवृद्ध दिलीप कुमार का सौ साल से भी ज्यादा पुराना घर इसी मुहल्ले में स्थित है। इस मकान की हालत भी खासी जर्जर-जर्जर है। इसे भी नवाज शरीफ सरकार ने वर्ष 2014 में राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया था। खान ने बताया कि इन दोनों इमारतों के मालिकों ने इन्हें ढहा कर वहां एक वाणिज्यिक प्लाजा बनाने की कई बार कोशिशें कर चुके हैं। लेकिन इन इमारतों के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए वह इसे संरक्षित करते हैं।

कपूर हवेली के मालिक अली कादिर ने कहा- इमारत को गिराना नहीं चाहते

हालांकि कपूर हवेली के मालिक अली कादिर ने कहा कि वह इस इमारत को गिराना नहीं चाहते हैं। बल्कि इसके संरक्षण के लिए उन्होंने पुरातत्व विभाग के साथ करार किया है। मकान का मालिक प्रांतीय सरकार से इस इमारत की मरम्मत के लिए 200 करोड़ रुपये मांग रहा है। पाकिस्तान सरकार ने 2018 में इस हवेली को म्यूजियम बनाने का फैसला किया है। पेशावर में ऐसी 1800 ऐतिहासिक इमारतें हैं जो 300 साल से भी अधिक पुराना है।


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