भ्रष्टाचार में नवाज शरीफ को दोषी ठहराने वाले न्यायाधीश बर्खास्त, दबाव में आकर सुनाई थी सजा
मलिक ने दिसंबर 2018 में शरीफ को अल-अजीजिआ स्टील मिल भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया था और 2.5 करोड़ डॉलर (लगभग 188 करोड़ भारतीय रुपये) का जुर्माना किया था।
लाहौर, प्रेट्र। लाहौर हाई कोर्ट ने जवाबदेही कोर्ट के न्यायाधीश को एक विवादित वीडियो को लेकर बर्खास्त कर दिया है। वीडियो में न्यायाधीश ने स्वीकार किया है कि दबाव में आकर उन्होंने अपदस्थ पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार मामले में सात साल कैद की सजा सुनाई थी।
मुख्य न्यायाधीश कासिम खान की अध्यक्षता वाली हाई कोर्ट की सात सदस्यीय प्रशासनिक निकाय ने शुक्रवार को इस्लामाबाद जवाबदेही कोर्ट के न्यायाधीश अरशद मलिक को बर्खास्त करने का फैसला सुनाया। मलिक ने दिसंबर 2018 में शरीफ को अल-अजीजिआ स्टील मिल भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया था और 2.5 करोड़ डॉलर (लगभग 188 करोड़ भारतीय रुपये) का जुर्माना किया था।
जुलाई 2019 में शरीफ की बेटी मरयम नवाज ने मलिक का कथित वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होंने स्वीकार किया था कि पीएमएल-एन सुप्रीमो को दोषी ठहराने के लिए उन्हें ब्लैकमेल किया गया था और वह दबाव में थे। परोक्ष रूप से उन्होंने खुफिया एजेंसी की ओर अपने ऊपर दबाव डालने का इशारा किया था। न्यायाधीश ने आरोपों से इन्कार किया था और वीडियो को जाली और झूठ पर आधारित बताया था।
पीएमएल-एन अध्यक्ष शहबाज शरीफ और उपाध्यक्ष मरयम ने लाहौर हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे साबित होता है कि शरीफ निर्दोष हैं।
नवाज शरीफ पर दर्ज किया गया नया मामला
वहीं, पिछले दिनों पाकिस्तान के भ्रष्टाचार रोधी निकाय ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और तीन अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार का एक और मामला दर्ज किया है। यह केस 34 साल पहले पंजाब प्रांत में भूमि के अवैध आवंटन से जुड़ा है। बता दें कि चिकित्सा उपचार के लिए लंदन में रह रहे 70 वर्षीय शरीफ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया गया है। साथ ही किसी भी समन का जवाब नहीं देने पर राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने शरीफ को भगोड़ा घोषित करने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक अदालत का दरवाजा खटखटाया है।