Move to Jagran APP

भारत के साथ जम्मू कश्मीर का एकीकरण हर मोर्चे पर सकारात्मक संकेत लेकर आया

जम्मू और कश्मीर का आर्थिक एकीकरण लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालेगा जिसके परिणामस्वरूप लोगों का जीवन बेहतर होगा

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 01:16 PM (IST)Updated: Sun, 18 Aug 2019 01:16 PM (IST)
भारत के साथ जम्मू कश्मीर का एकीकरण हर मोर्चे पर सकारात्मक संकेत लेकर आया
भारत के साथ जम्मू कश्मीर का एकीकरण हर मोर्चे पर सकारात्मक संकेत लेकर आया

नई दिल्ली [डॉ.विक्रम सिंह]। दुनिया की सबसे तेज विकास कर रही अर्थव्यवस्था (भारत) के साथ जम्मू-कश्मीर का एकीकरण सामाजिक-राजनीतिक के साथ आर्थिक मोर्चों पर भी कई सकारात्मक संकेत लेकर आया है। यह एकीकरण अर्थव्यवस्था को इनफ्लेक्शन प्वाइंट तक पहुंचाने में मदद करेगा। सीधे शब्दों में कहें तो जब कोई अर्थव्यवस्था इनफ्लेक्शन प्वाइंट तक पहुंचती है तो उत्पादन के अधिकांश कारक बेहतर रूप से काम करना शुरू कर देते हैं, जिससे इनपुट की प्रत्येक इकाई से अधिक उत्पादन होता है। स्वास्थ्य, कल्याण, रोजगार, शिक्षा और लैंगिक समानता जैसे कई संकेतकों के परिणाम भी बेहतर होते हैं।

prime article banner

जम्मू और कश्मीर का आर्थिक एकीकरण लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालेगा, जिसके परिणामस्वरूप लोगों का जीवन बेहतर होगा और बेहतर मौके भी मिलेंगे। पड़ोस में स्थित पीओके या गुलाम कश्मीर में भी इस सकारात्मक बदलाव की प्रतिध्वनि सुनाई देगी। नेपाल जितना बड़ा पचास लाख की आबादी वाले इस भारतीय क्षेत्र पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। अपनी भेदभाव वाली नीतियों से पाकिस्तान ने यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित कर रखा है, वे मुश्किल से अपना जीवन यापन कर पा रहे हैं। 

पीओके क्षेत्र पर सकारात्मक और व्यापक प्रभाव होगा 

जम्मू-कश्मीर में विकास का पीओके क्षेत्र पर सकारात्मक और व्यापक प्रभाव पड़ेगा। यह वहां के लोगों को मुख्यधारा में लाएगा। प्रधानमंत्री मोदी के नए भारत ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि भारत के लिए अब कश्मीर नहीं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर समस्या है। दुनिया को यह बताने की जरूरत है कि पीओके की अर्थव्यवस्था रुकी हुई है और इसके परिणामस्वरूप यहां सामाजिक और कल्याण संकेतक नीचे जा रहा है। जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के लोग अधिक खुश हैं। राज्य कई अन्य संकेतकों पर भी बेहतर करता दिखाई देता है। खासतौर पर मानव विकास सूचकांक, शिक्षा, स्वास्थ्य और आय में। आर्थिक एकीकरण के साथ, इसके और भी बेहतर होने की संभावना है। साथ ही बेहतर जीवन और न्यायसंगत अवसरों की मांग को पूरा करने के लिए पीओके क्षेत्रों की आकांक्षाओं को पूरा करना होगा।

पीओके के लोगों के पास एक दृढ़ इच्छाशक्ति है और वे हर दिन प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ते हैं। उनके लिए राजनीतिक आजादी जितनी ही अहमियत आर्थिक स्वतंत्रता भी रखती है। हिंसा का आर्थिक असर बहुत बड़ा होता है। अर्थव्यवस्था का दसवां हिस्सा इसकी भेंट चढ़ जाता है लिहाजा ज्यादा लोग गरीबी के शिकार बनते जाते हैं। गरीबी लोगों को स्वाभिमानी तरीके से जीवन जीने की राह में बाधा बनती है। हालांकि इसकी राजनीतिक कीमत कहीं ज्यादा बड़ी होती है। गरीबी आंतरिक शांति छीनती है, लोगों का संस्थाओं और लोकतंत्र से विश्वास क्षीण होता है।

हिंसा रोकती है विकास की रफ्तार 

हिंसा हर क्षेत्र में नकारात्मक असर दिखाती है। आर्थिक विकास को सुस्त करती है। अन्याय का बीज रोपती है। लोगों की रोजाना की जिंदगी को बर्बाद करती है। यही नहीं, भविष्य की आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह बहुत खराब तस्वीर पेश करती है। शांति और विकास एक दूसरे से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। पीओके के किसी भी समाधान में बेहतर नेतृत्व शामिल होना चाहिए और मानवता में समग्र निवेश, जो मानव विकास संकेतकों को बढ़ाने पर केंद्रित हो। भारतीय अर्थव्यवस्था उस निवेश को कर सकती है। भारत के लिए यही वास्तविक मौका है कि वह अपनी सुरक्षा रणनीति को मजबूत रखते हुए गुलाम कश्मीर के लोगों के सामाजिक-आर्थिक उन्नयन का प्रत्यक्ष- परोक्ष रूप से प्रयास करे। पेट के रास्ते से ही गुलाम कश्मीरियों का दिल भारत जीत सकता है। इसके लिए दुनिया के हर फोरम पर पाकिस्तान के प्रति उन लोगों के आक्रोश को मजबूती के साथ रखना होगा।

[लेखक- मैनेजमेंट गुरु और वित्तीय एवं समग्र विकास के विशेषज्ञ हैं] 

जम्मू कश्मीर से जुड़ी अन्य खबरें पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:- 


जम्मू-कश्मीर: दैनिक जागरण के घोषणापत्र में भी था अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा

 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.