जैश-ए-मोहम्मद की सीक्रेट फंडरेजिंग का खुलासा, PAK में 300 से ज्यादा आतंकी ठिकाने बनाने की साजिश
खुफिया एजेंसियों के अनुसार जैश ए मोहम्मद एफएटीएफ की निगरानी से बचने के लिए डिजिटल हवाला का उपयोग कर रहा है और पाकिस्तान में 2000 से अधिक डिजिटल वॉलेट ...और पढ़ें

संजय मिश्र, नई दिल्ली। आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद (जेईएम) एफएटीएफ निगरानी जांच को चकमा देते हुए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संरक्षण में अब ''डिजिटल हवाला'' के जरिए बतौर चंदा अरबों रूपए इकठठा कर रहा है।
बैंकिंग नेटवर्क से अलग जैश के पाकिस्तान में 2000 से अधिक डिजिटल वालेट संचालित हो रहे हैं। ''ईजीपैसा'' और ''सदापे'' के दो पाकिस्तानी डिजिटल वालेट के माध्यम से धन इकट्ठा कर लेनदेन शुरू भी कर दिया है।
ऑपरेशन सिंदूर की भारत की सैन्य कार्रवाई में ध्वस्त हुए अपने प्रमुख मरकजों के साथ-साथ 300 से अधिक मस्जिदों के निर्माण की धार्मिक आड़ में वालेट से बतौर चंदा धन जुटाए जा रहे हैं। जैश ने अगले एक साल में इसके जरिए करीब चार अरब पाकिस्तानी रूपए जुटाने का लक्ष्य रखा है।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार जैश धार्मिक नाम पर जुटाए गए धन का बड़ा हिस्सा आतंकियों के पालन-पोषण, आर्थिक मदद से लेकर आतंक के लिए हथियारों की खरीद में इस्तेमाल करता है।
डिजिटल हवाला का इस्तेमा कर रहे आतंकी संगठन
आईएसआई और जैश ने ''डिजिटल हवाला'' को धन उगाही के एक नए तंत्र के रूप में विकसित किया है जिसका मुख्य मकसद एफटीएफ की निगाह से हटकर आतंकी फंडिंग का प्रबंध किया जा सके। एफएटीएफ की काली सूची से निकलने के लिए पाकिस्तान ने एक सरकार राष्ट्रीय कार्य योजना लागू की थी जिसमें उसने जैश के मरकद को सरकारी नियंत्रण में लेकर इसके प्रमुख मसूद अजहर, उसके भाई रऊफ असगर और सबसे छोटे भाई तल्हा अल सैफ के बैंक खातों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद ही 2022 में पाकिस्तान को एफएटीएफ की काली सूची से हटाया गया था।
सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों के अनुसार एफएटीएफ को चकमा देने के लिए जैश की दान से आ रही फं¨डग अब बैंक खातों की जगह मसूद अजहर के परिवार के सदस्यों के डिजिटल वॉलेट में स्थानांतरित हो रही है। साफ है कि पाकिस्तान केवल बैंक खाते का विवरण दिखाकर एफएटीएफ के सामने झूठा दावा कर सकता है कि जैश-ए-मोहम्मद की फंडिंग बंद कर दी गई है।सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक जैश ने ईजीपैसा और सदापे के माध्यम से ऑनलाइन धन उगाही का जो नया अभियान शुरू किया है उसके तहत पूरे पाकिस्तान में 313 नए मरकज बनाने के लिए 3.94 अरब पाकिस्तानी रूपए जुटाने का लक्ष्य है।
जैश के ध्वस्त हुए मुख्यालय को फिर से बनाएगा पाकिस्तान
इसमें ''ऑपरेशन ¨सिंदूर'' में जैश-ए-मोहम्मद के ध्वस्त हुए मुख्यालय मरकज सुभान अल्लाह तथा चार अन्य आतंकी प्रशिक्षण शिविरों मरकज बिलाल, मरकज अब्बास, महमोना जोया और सरगल के नष्ट हो चुके ठिकानों के पुनर्निर्माण के लिए भी धन मांगा जा रहा है। जबकि पाकिस्तानी सरकार इन मरकजों का निर्माण कराने की घोषणा कर चुकी है।
फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जैश से जुड़े छदम अकाउंट्स और उसके आतंकी कमांडरों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले अकाउंट्स ने चंदे के लिए कई पोस्टर, वीडियो के साथ मसूद अजहर का एक पत्र भी पोस्ट किया है। मसूद ने इसमें कहा है कि जैश पाकिस्तान में 313 मरकज बना रहा है।
जैश ने अपने आधिकारिक प्रचार चैनल एमएसटीडी आफिसियल के जरिए मसूद के भाई तल्हा अल सैफ का दान के लिए एक ऑडियो भी जारी किया है जो उसने बीते 15 अगस्त को मरकज उस्मान-ओ-अली में एक सभा में बोला था। सुरक्षा एजेंसियों को जांच में पता चला है कि इस चंदे की राशि कई पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट में जा रहे हैं जिसमें एक सदापे खाता मसूद अजहर के भाई तल्हा अल सैफ (तल्हा गुलजार) के नाम पर है जो उसके मोबाइल नंबर से जुड़ा है।
यह नंबर जैश के हरिपुर जिले के कमांडर आफताब अहमद के नाम पर पंजीकृत है जिसके सीएनआईसी नंबर पर हरिपुर के खाला बट्ट टाउनशिप में जैश कैंप का पता दर्ज है। जबकि इजीपैसा वालेट का धन उगाही का एक और चैनल मसूद अजहर के बेटे अब्दुल्ला अजहर (अब्दुल्ला खान) के मोबाइल से जुड़ा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के पास मोबाइल नंबरों तथा सीएनआईसी का पूरा ब्यौरा मौजूद है। खैबर पख्तूनख्वा में जैश कमांडर सैयद सफदर शाह के मानसेहरा जिले के ओघी स्थित मेलवाराह डाकघर के पास पंजीकृत मोबाइल ईजीपैसा से जुड़ा है।
सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि जैश ईजीपैसा तथा सदापे पर 2000 से अधिक पाकिस्तानी डिजिटल वॉलेट संचालित करता है जो न केवल मरकज बल्कि गाजा की मदद के नाम पर भी धन जुटा रहे। खालिद अहमद के नाम पर पंजीकृत एक मोबाइल वालेट ऐसा ही जिसका संचालन मसूद का बेटा हम्माद अजहर करता है। ईजीपैसा और सदापे बैं¨कग नेटवर्क के एजेंटों के माध्यम से वॉलेट-टू-वॉलेट और वॉलेट-टू-कैश ट्रांसफर की अनुमति देते हैं जिस पर एफएटीएफ की निगरानी लगभग असंभव हो जाती है क्योंकि वह केवल बैंक नेटवर्क लेन-देन को ही ट्रैक कर सकता है।
सुरक्षा एजेंसियों की आशंका है कि इतनी बड़ी संख्या में मरकज बनाने के पीछे जैश के दो मुख्य उद्देश्य हो सकते हैं। पहला लश्कर-ए-तैयबा के विशाल मरकज
नेटवर्क की नकल करन अपने आतंकी प्रशिक्षण शिविरों का विस्तार करना ताकि भविष्य में ऑपरेशन सिदूर जैसे भारतीय हमलों से बचा जा सके। दूसरा मसूद अजहर और उसके परिवार के लिए सुरक्षित आलीशान सुरक्षित ठिकाने स्थापित करना ताकि वे इसकी गोपनीयता बनाए रखें।

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