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आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अब सीधे सबक सिखाएगा अमेरिका, जानें क्यों

आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका ने पाकिस्तान को एक बार कड़ी चेतावनी दी है। टिलरसन ने कहा कि अब पाकिस्तान की बहानेबाजी नहीं चलेगी।

By Lalit RaiEdited By: Published: Fri, 27 Oct 2017 07:18 PM (IST)Updated: Fri, 27 Oct 2017 07:43 PM (IST)
आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अब सीधे सबक सिखाएगा अमेरिका, जानें क्यों
आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को अब सीधे सबक सिखाएगा अमेरिका, जानें क्यों

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] ।   इसमें अब कोई शक नहीं है कि पाकिस्तान आतंकवाद का निर्यातक देश है। कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ये आवाज उठ चुकी है कि अब पाकिस्तान को पुख्ता कार्रवाई करनी होगी। लेकिन एक सच ये भी है कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाक दोहरे मानदंड अपनाता है। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने पाकिस्तान दौरे में साफ-साफ कहा कि अब किसी तरह की बहानेबाजी नहीं चलेगी। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि पाकिस्तान को आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। ऐसा नहीं होने पर अमेरिका अपने ढंग से जो उचित होगा वो करने से नहीं हिचकेगा। 

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पाक करे कार्रवाई
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हिथर नॉट ने कहा कि एक बार नहीं हजारों बार आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान से चिंता जाहिर की गई है। पाकिस्तान को ये समझना होगा कि आतंकी संगठन जहां कहीं से भी कारनामों को अंजाम दे रहे हों उनके खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी। अपनी यात्रा के अंतिम चरण में जब टिलरसन जेनेवा पहुंचे तो उन्होंने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान से रचनात्मक बातचीत हुई है। पाकिस्तान ने इस बात का भरोसा दिया है कि वो आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।लेकिन अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो अमेरिका अपने ढंग से निपटेगा। टिलरसन ने कहा कि पाकिस्तान को संदेश साफ है। अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान वो करे जो हम चाहते हैं। हम उनसे कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं, अमेरिका कुछ मांग नहीं रहा है। पाकिस्तान एक संप्रभु देश है, वो वहीं करें जो करना चाहते हैं लेकिन इस बात को समझें कि हम किस चीज को जरूरी समझते हैं।

टिलरसन ने कहा कि वो विस्तार से ये तो नहीं बताएंगे कि क्या कुछ बात हुई थी। लेकिन चर्चा के दौरान 80 फीसद समय बातचीत के विषय को सूचीबद्ध करने पर और 20 फीसद समय सिर्फ बातचीत के लिए निर्धारित किया गया। हालांकि टिलरसन की यात्रा से ठीक पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल स्टैंडिंग कमेटी के सामने कहा था कि हम न तो अमेरिका के सामने आत्मसमर्पण करेंगे और ना ही अपनी संप्रभुता के साथ समझौता करेंगे। आसिफ ने कहा था कि अमेरिका ने आतंकियों की कोई सूची नहीं सौंपी थी। गौरतलब है कि अमेरिका ने 75 आतंकियों की सूची के साथ साथ हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ सख्ती बरतने को कहा था। आसिफ के इस तरह के बयान पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि टिलरसन अपनी बात को स्पष्ट तौर पर रख चुके हैं।

जानकार की राय
Jagran.Com से खास बातचीत में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जानकार हर्ष वी पंत ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन का रुख कड़ा है। हाल ही में कनाडाई-अमेरिकन जोड़ी की रिहाई में देखा भी जा सकता है। अमेरिका के लिए अफगानिस्तान एक बड़ी चुनौती है और वहां के रणनीतिकारों को लगता है कि भारत की सक्रिय मदद से वो अफगानिस्तान में अपनी भूमिका को और बढ़ा सकते हैं। अमेरिका को लगता है कि एक तरफ पाकिस्तान खुद को आतंकवाद से पीड़ित बताता है। लेकिन आतंकी संगठनों के मुद्दे पर उसकी परिभाषा अलग होती है। पाक के दोहरे व्यवहार पर अंकुश लगाने के लिए अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस पहले ही ट्रंप से अपील कर चुके हैं।

भारत की कूटनीति आ रही काम
आतंकवाद के मुद्दे पर भारत दुनिया के दूसरे देशों को ये समझाने में कामयाब हुआ है कि पाकिस्तान की कथनी-करनी में कितना अंतर है। 2016 में गोवा के ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत की तरफ से ये कोशिश की गई कि जैश और लश्कर का नाम घोषणापत्र में शामिल किया जा सके। लेकिन चीन ने अपना विरोध दर्ज जताया। लेकिन एक साल बाद वैश्विक समीकरण में बदलाव और भारत की सफल कूटनीति की वजह से चीन के शियामेन शहर में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन की तस्वीर कुछ और ही थी। चीन ने भी ये माना कि भारत में आतंकवाद के पीछे लश्कर और जैश का हाथ है। इसके साथ ही हक्कानी नेटवर्क का भी जिक्र किया गया। हक्कानी नेटवर्क को लेकर अमेरिकी प्रशासन को पहले से ही संदेह रहता था कि वो मदद लेकर अफगानिस्तान में आतंकियों की मदद करते हैं। लेकिन जब अमेरिका को इस बात के पुख्ता प्रमाण हासिल हुए कि आइएसआइ की सरपरस्ती में हक्कानी नेटवर्क काम कर रहा है तो ट्रंप प्रशासन ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी। अमेरिकी रुख में पहला बदलाव ये था कि रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने पाकिस्तान की यात्रा नहीं की। इसके साथ ही पिछले पांच साल से बंधक बनाए गए कनाडाई-अमेरिकन जोड़ी के मुद्दे पर अमेरिका ने साफ कर दिया कि अगर हक्कानी नेटवर्क पर पाकिस्तान ने कार्रवाई नहीं की तो वो सीधी कार्रवाई करेगा

पसंद-नापसंद का मुद्दा नहीं है आतंकवाद
अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने 19 अक्टूबर को अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक CSIS में अपने संबोधन में कहा था कि ट्रंप प्रशासन को उम्मीद है कि पाकिस्तान अपने देश में मौजूद उन आतंकवादी संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेगा, जो उसके अपने लोगों और सीमावर्ती क्षेत्र के लिए खतरा बन गए हैं। आतंकवाद की मुसीबत से निपटना हर सभ्य देश की जिम्मेदारी है और यह पसंद का मामला नहीं है। अमेरिका और भारत इस क्षेत्रीय कोशिश की मिलकर अगुआई कर रहे हैं। टिलरसन का भारत के साथ संबंधों में दिए गए बयान को अमेरिकी रुख में एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। टिलरसन ने चीन और पाकिस्तान को आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि बीजिंग की उकसावे वाली कार्रवाई उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ है जिनके भारत और अमेरिका पक्षधर हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि अमेरिका आशा करता है कि पाकिस्तान अपनी सीमा के अंदर सक्रिय आतंकवादी समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेगा। 

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