'लश्कर पर मुशर्रफ के ताजा बयान को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं'
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा कि 2002 में जब उन्होंने लश्कर को बैन किया उस वक्त वो हाफिज के बारे में कम जानते थे।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह परवेज मुशर्रफ की पहचान ये है कि अब वो भगोड़ा हैं। मुशर्रफ एक तरफ कहते हैं कि आतंकवाद दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है। लेकिन आतंकी संगठन लश्कर के संस्थापक हाफिज सईद के मुद्दे पर उनकी राय कुछ और ही है। ये बात अलग है कि 2002 में उनकी सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगा दिया था। 2008 में मुंबई हमले से पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हाफिज को वैश्विक आतंकी घोषित किया था। मुंबई हमले के बाद सईद के सिर पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया। वैश्विक मंच पर भारत द्वारा घेरेबंदी के बाद हाफिज को इसी साल नजरबंद किया गया। लेकिन पाकिस्तान सरकार द्वारा सबूत मुहैया कराने में नाकाम रहने पर लाहौर की कोर्ट ने उसे रिहा कर दिया। अपनी रिहाई के बाद हाफिज ने कहा कि वो कश्मीर में आंदोलन को समर्थन देता रहेगा। इसके साथ ही उसने संयुक्त राष्ट्र में अर्जी दाखिल कर अपने आप पर से आतंकी का ठप्पा हटाने की अपील की। हाफिज सईद के बारे में मुशर्रफ ने और क्या कुछ कहा। हालांकि जानकारों के मुताबिक मुशर्रफ के इस बयान को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।
मुशर्रफ के बिगड़े बोल या कोई नीति
मुशर्रफ कहते हैं कि वो लश्कर-ए-तैयबा के सबसे बड़े समर्थक हैं। उन्हें ये पता है कि लश्कर के लोग भी उनको पसंद करते हैं। पाकिस्तान के ARY टीवी के साक्षात्कार में जब ये पूछा गया कि क्या वो उस शख्स की बखान कर रहे हैं जो मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार हैं, मुशर्रफ ने सहमति जताते हुए कहा कि हाफिज कश्मीर में सक्रिय है और वो वहां के लोगों को नैतिक समर्थन दे रहा है। मुशर्रफ ने कहा कि जहां तक मुंबई हमलों की बात है उस संबंध में हाफिज अपनी संलिप्तता से इनकार कर चुका है। लिहाजा आप उसकी भूमिका पर सवाल नहीं उठा सकते हैं।
हाफिज और लश्कर के गुणगान में मुशर्रफ एक कदम और आगे जा कर कहते हैं कि ये बात सच है कि 2002 में उनकी सरकार ने प्रतिबंध लगाया था। लेकिन उस वक्त वो हाफिज के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते थे। अगर आज वो सरकार में होते तो लश्कर को बैन नहीं करते। अपनी बात को रखते हुए वो कहते हैं अब वो हाफिज को अच्छी तरह से जान चुके हैं।
मुशर्रफ ने कहा कि 2002 में वो शांति की दिशा में आगे बढ़ रहे थे। उनकी ये कोशिश थी कि शांति की राह में रुकावट पैदा करने वालों मुजाहिद्दीनों को रोकने के लिए कदम उठाना जरूरी था। वो चाहते थे कि देश के अंदर और बाहर राजनीतिक संवाद के जरिए ही समस्याओं को सुलझाया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने की बात कभी नहीं की। अमेरिकी मदद से भारत ने लश्कर को आतंकी संगठन घोषित कराया।
जानकार की राय
दैनिक जागरण से खास बातचीत में प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा कि परवेज मुशर्रफ के बयान को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। दरअसल वो पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में अपनी स्वीकार्यता बनाए रखने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं। ये तो तथ्य है कि पाकिस्तान की अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर रखा है। लिहाजा वो इस तरह की हल्की बातें कर रहे हैं। पाकिस्तान भले ही इस हकीकत को न स्वीकार करे कि हाफिज का हाथ मुंबई हमलों में नहीं था। लेकिन सच ये है कि मुंबई हमलों के बाद ही अमेरिका ने हाफिज के सिर पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा। हर्ष वी पंत कहते हैं कि पाकिस्तान के जन्म से लेकर आज तक वहां के सियासदानों को लगता है कि भारत विरोध के जरिए वो उन देशों की सहानुभूति प्राप्त कर सकेंगे जो भारत आर्थिक ताकत से डरते थे। पाकिस्तान की बुनियाद में नफरत के जो बीज पड़े उसका उपयोग वहां के राजनीतिक दल अपनी सत्ता को बनाने या बचाए रखने के लिए करते हैं। परवेज मुशर्रफ के बयान को आप उसी संदर्भ में देख सकते हैं। पाकिस्तान की पाखंडी सरकारें
पाकिस्तान की सरकारों को घेरते हुए उन्होंने कहा कि प्रजातांत्रिक सरकारे पाखंड से भरी हुई हैं। एक तरफ पाकिस्तान के विदेश मंत्री हाफिज सईद को पाकिस्तान के लिए बोझ बताते हैं तो दूसरी तरफ आप आतंकियों और उनके संगठनों को सेना और खफिया एजेंसियों की मदद से सेफ हाउस मुहैया कराते हैं। इसीलिए यूएस थिंक टैंक की तरफ से बयान आया कि ये रहस्य की बात है कि पाकिस्तान को हम अभी भी मेजर गैर नाटो सहयोगी के तौर पर देखते हैं।
यूएस ने की आलोचना
यूएस थिंक टैंक के रिचर्ड एन हॉस ने कहा कि आतंकियों को वर्षों से पनाह देता रहा है खास तौर से तालिबान और हाफिज सईद को प्रश्रय दे रहा है। यूएस थिंक टैंक का अब मानना है कि पाकिस्तान गैर नाटो सहयोगी का दर्जा वापस ले लेना चाहिए। यूएस सेक्युरिटी से जुड़े हुए ब्रुस रीडल का कहना है कि अब समय आ गया है कि जब पाकिस्तान को साफ साफ बताना चाहिए कि वो दुनिया की आंखों में धूल नहीं झोंक सकता है।
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