इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने जाधव मामले में तीन वरिष्ठ वकील 'न्याय मित्र' किए नियुक्त
भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच न देने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाक के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का रुख किया था।
इस्लामाबाद, प्रेट्र। इस्लामाबाद की हाईकोर्ट ने भारतीय नौसेना के अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले में तीन वरिष्ठ वकीलों को न्याय मित्र नामित किया है। साथ ही पाकिस्तान सरकार को जाधव के लिए एक वकील नियुक्त करने का भारत को एक और मौका देने का आदेश दिया है। भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच न देने और मौत की सजा को चुनौती देने के लिए पाक के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का रुख किया था।
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय कोर्ट (ICJ) ने जुलाई 2019 में फैसला दिया था कि पाकिस्तान को जाधव की दोषसिद्धि एवं मौत की सजा की प्रभावी समीक्षा एवं पुनर्विचार करना चाहिए और बिना किसी देरी के भारत को राजनयिक पहुंच देने की अनुमति भी देनी चाहिए।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अतहर मिनाल्ला और जस्टिस मियांगुल औरंगजेब की पीठ ने जाधव के लिए वकील नियुक्त करने की पाकिस्तान सरकार की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए तीन वकीलों का पैनल सुझाया।
तीन सितंबर को अगली सुनवाई
न्याय मित्र वह वकील होता है जिसे किसी मामले में सहायता के लिए अदालत द्वारा नियुक्त किया जाता है। अदालत ने मामले के लिए एक वृहद पीठ के गठन का भी आदेश दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई तीन सितंबर दोपहर दो बजे वृहद पीठ के समक्ष होगी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा, हम सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों एवं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्षों-आबिद हसन मंटो, हामिद खान तथा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं पाकिस्तान के पूर्व अटॉर्नी जनरल मखदूम अली खान को कानूनी सहायता और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए न्याय मित्र नियुक्त करते हैं।
अध्यादेश को पिछले हफ्ते पाकिस्तानी संसद ने दी थी मंजूरी
गौरतलब है कि पाकिस्तान सरकार ने 22 जुलाई को हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। हालांकि, 20 मई से प्रभावी हुए अध्यादेश के तहत कानून एवं न्याय मंत्रालय द्वारा अर्जी दायर करने से पहले भारत सरकार सहित मामले में मुख्य पक्षकार से संपर्क नहीं किया गया। आइसीजे समीक्षा एवं पुर्नविचार अध्यादेश 2020 के तहत सैन्य अदालत के फैसले की समीक्षा के लिए याचिका अध्यादेश के लागू होने के 60 दिनों के अंदर इस्लामाबाद हाईकोर्ट में दी जा सकती है। अध्यादेश को पिछले हफ्ते पाकिस्तानी संसद ने मंजूरी दी थी।