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मनमुताबिक फैसले के लिए जजों पर दबाव डालती है आइएसआइ

जज का यह आरोप भी है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित कई अन्य मामलों पर भी जजों पर दबाव बनाया गया।

By Vikas JangraEdited By: Published: Sat, 21 Jul 2018 10:05 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jul 2018 10:05 PM (IST)
मनमुताबिक फैसले के लिए जजों पर दबाव डालती है आइएसआइ
मनमुताबिक फैसले के लिए जजों पर दबाव डालती है आइएसआइ

लाहौर [प्रेट्र]। इस्लामाबाद हाई कोर्ट के एक जज ने शनिवार को आरोप लगाया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ मुख्य न्यायाधीश और अन्य जजों पर मनमुताबिक फैसला देने के लिए दबाव डालती है। जज का यह आरोप भी है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सहित कई अन्य मामलों पर भी जजों पर दबाव बनाया गया।

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गौरतलब है कि भ्रष्टाचार मामले में शरीफ को 10 साल और उनकी बेटी मरयम को 7 साल कैद की सजा सुनाई गई है। दोनों को लंदन से पाकिस्तान पहुंचने पर 13 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था।

इस्लामाबाद हाई कोर्ट के जज शौकत सिद्दीकी ने रावलपिंडी बार एसोसिएशन में कहा कि आज न्यायपालिका और मीडिया 'बंदूकवालों (सेना)' के नियंत्रण में है। न्यायपालिका जहां स्वतंत्र नहीं है वहीं मीडिया को भी सेना की तरफ से दिशानिर्देश मिलते हैं। इसी दबाव की वजह से मीडिया सच नहीं बोल सकता।

उन्होंने कहा कि एजेंसी मनमुताबिक निर्णय के लिए बेंच का निर्धारण कराती है। आइएसआइ ने ही चीफ जस्टिस से कहा था कि 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव से पहले नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरयम जेल से बाहर नहीं निकलने चाहिए। इतना ही नहीं एजेंसी ने शरीफ और मरयम के मामले को सुनने वाली बेंच में मुझे शामिल नहीं करने को भी कहा था। इस पर चीफ जस्टिस ने उनके मुताबिक बेंच बनाने को कहा था।

सिद्दीकी ने यह भी कहा कि उन्हें आइएसआइ ने सहयोग करने पर चीफ जस्टिस बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया। जज ने कहा, 'न्यायपालिका और मीडिया दोनों ही जनता की आवाज होती हैं। अगर इनकी स्वतंत्रता पर कुठाराघात होता है तो पाकिस्तान एक स्वतंत्र देश नहीं रह जाएगा। देश के 70 सालों के स्वतंत्र इतिहास में हमने आधे समय सैन्य शासन देखा है पर आज न तो पाकिस्तान इस्लामिक राष्ट्र है और न ही लोकतांत्रिक राष्ट्र है।'


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