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International Women's Day: जानिए, मेरा जिस्म मेरी मर्जी के नारे पर पाकिस्तान में क्यों मचा है कोहराम

International Womens Day पाकिस्तान में कट्टरपंथी इस कदर हावी हैं कि महिलाओं के बुनियादी अधिकार भी उनकी पहुंच से बहुत दूर हैं।

By Brij Bihari ChoubeyEdited By: Published: Mon, 09 Mar 2020 12:33 PM (IST)Updated: Mon, 09 Mar 2020 12:38 PM (IST)
International Women's Day: जानिए, मेरा जिस्म मेरी मर्जी के नारे पर पाकिस्तान में क्यों मचा है कोहराम
International Women's Day: जानिए, मेरा जिस्म मेरी मर्जी के नारे पर पाकिस्तान में क्यों मचा है कोहराम

ब्रजबिहारी, नई दिल्ली। Pakistan My Body My Choice 8 मार्च को International Women's Day के मौके पर अपने हकों के लिए पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद सहित तमाम शहरों में निकाले गए औरत मार्च ने हमारे इस पड़ोसी देश को बुरी तरह बांट कर रख दिया है। Pakistan Terrorism आतंकवाद के जनक और पनाहगाह के रूप में कुख्यात पाकिस्तान में औरतों को बराबरी का दर्जा देने की बात पर कट्टरपंथी इतने ज्यादा आक्रामक हो गए कि रविवार को औरत मार्च के दौरान महिलाओं पर हमले किए गए। उन पर पत्थर फेंके गए और उनकी ओर जूते उछाले गए।

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बुलंद हो रही आवाज

औरत मार्च से पैदा हुए विवाद पर जियो टीवी के कार्यक्रम नया पाकिस्तान में एक बहस में भाग लेते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और स्तंभकार मेमल सरफराज ने कहा कि औरतें जब अपने हक मांगने के लिए सड़कों पर उतरती है तो पितृसत्तात्मक समाज Patriarcy in Pakistan के पैरोकार भड़क जाते है। जबकि हकीकत यह है कि औरतें कुछ भी ऐसा नहीं मांग रही हैं जो आपत्तिजनक या गैर कानूनी है। पाकिस्तान के संविधान में उन हकों की गारंटी दी गई है। यहां तक कि औरतों की मांगे दीन की कसौटी पर भी खरी हैं। यह अच्छी बात है कि पार्लियामेंट, सभा-सेमीनारों, टेलीविजन और अखबारों के अलावा अब औरतों के हक पर घरों में भी चर्चा हो रही है।

क्यों हो रहा है विरोध

मेमल सरफराज के विचारों से असहमति जताते हुए नादिया मेराज ने कहा कि औरतों के हक जब ड्राइंग रूम में डिस्कस होंगे और उन पर यूनिवर्सिटी में चर्चा होगी तो बात आगे बढ़ेगी, लेकिन जब तक पार्लियामेंट में कानून बनाकर उस पर कड़ाई और सचाई से अमल नहीं किया जाता तब तक औरतों को उनका हक नहीं दिया जा सकता है। औरत मार्च जैसी कोशिशों से इसे कंट्रोवर्सियल बनाकर कुछ हासिल नहीं होगा। इससे महिलाओं के आंदोलन को कोई मदद नहीं मिलेगी। मेरा जिस्म मेरी मर्जी के नारे को देश में सभी लोग समझ नहीं पा रहे हैं। इससे नफरत फैल रही है। इस नारे को गलत समझा जा रहा है। इसे बेहयाई का पर्याय माना जा रहा है। अगर समाज में यह गलत धारणा बनी है तो इस पर जागरूकता फैलाई जानी चाहिए। 

कम उम्र में शादी

पाकिस्तान में महिलाओं को अपनी मर्जी से जीने का अधिकार नहीं है। लड़कियों की कम उम्र में शादी कर दी जाती है और अगर कोई लड़की अपनी मर्जी चलाना चाहती है तो झूठी शान के नाम पर उसकी हत्या कर दी जाती है। महिलाओं के लिए पाकिस्तान दुनिया का छठां सबसे खतरनाक देश है। आंकड़ों की बात की जाए तो हर 37 मिनट पर एक महिला की मौत हो जाती है जिसकी वजह कम उम्र में शादी है।

एसिड अटैक

Patriarcy in Pakistan पाकिस्तान के एसिड सर्वाइवर्स फाउंडेशन के अनुसार हर साल महिलाओं पर एसिड अटैक के 150 मामले दर्ज किए जाते हैं। एसिड अटैक के पीछे घरेलू झगड़े मुख्य वजह है। इसके अलावा कायदे के कपड़े न पहनने या निकाह का प्रस्ताव खारिज करने के कारण भी महिलाओं को ऐसे हमले झेलने पड़ते हैं।

झूठी शान में हत्या

एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान में कत्म के हर पांच में एक मामला honour killing झूठी शान में हत्या का होता है। इस तरह के ज्यादातर वारदातें (92 फीसद) पतियों द्वारा की जाती है। इसके पीछे विवाहेतर संबंध (extramarital affairs) मुख्य वजह मानी गई है। हालांकि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के ये आंकड़े पूरी कहानी बयान नहीं करते हैं क्योंकि बहुत सारे मामले थाने तक पहुंचते ही नहीं हैं। 

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