पश्तून को नजरअंदाज करना बंद करना चाहिए: पाकिस्तानी वकील
पाकिस्तान के वकील बाबर सत्तार ने कहा कि पाकिस्तान को पश्तून को नजरअंदाज करना बंद करना चाहिए।
इस्लामाबाद (एएनआइ)। पाकिस्तान के वकील बाबर सत्तार ने पाकिस्तान की प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में चल रहे सेंसरशिप का विरोध किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को पश्तून को नजरअंदाज करना बंद करना चाहिए।
बता दें कि बाबर सत्तार पाकिस्तान के समाचार पत्रों और अन्य प्रकाशनों के लिए लेख लिखते हैं। इस्लामाबाद के रहने वाले सत्तार ने ट्वीट कर कहा कि पाकिस्तान में निजी और नि: शुल्क प्रेस के खिलाफ चल रहे सेंसरशिप के कारण वह इस हफ्ते अपने नियमित शनिवार कॉलम को प्रकाशित नहीं कर पा रहे हैं।
वह जियो टीवी और द जंग समूह को बंद करने के बारे में भी आलोचनात्मक थे। उन्होंने कहा कि द न्यूज इंटरनेशनल के लिए उनका नया साप्ताहिक कॉलम 26 वर्षीय मंजूर अहमद पश्तीन के ऊपर था, जो पीटीएम (पश्तून ताहुफुज आंदोलन) के प्रमुख के रूप में उभरा है। उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'मीडिया ने पीटीएम का उल्लेख करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। जीओ और जंग ने संवेदनशील विषयों को नहीं छूने का आदेश दिया है। इस वजह से शनिवार को मेरा कॉलम प्रकाशित नहीं हो सका। #स्वतंत्र रूप से नियंत्रित मीडिया का दौरा। पीटीएम द्वारा शुरू की गई बहस का यहां के और पाकिस्तान के साथ गहरा संबंध है।'
उन्होंने अभी तक प्रकाशित नहीं हुए अपने लेख में पश्तीन और पीटीएम नेताओं का जिक्र किया है। सत्तार ने पश्तीन और पीटीएम के नेताओं को असाधारण युवा नेता बताया। उन्होंने लिखा, ये युवा नेता अपनी उम्र और अनुभव से दूषित नहीं है। ये नागरिकों के प्रति राज्य की जिम्मेदारी के मूलभूत प्रश्न उठा रहे हैं। सत्तार कहते हैं, "यदि यह उनके लिए नहीं (पश्तीन और अन्य पीटीएम नेताओं) और यह तथ्य कि उनका संदेश पाकिस्तानी लोगों के साथ गूंज रहा है, तो हमारे चारों तरफ बहुत कुछ है कि इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हम मृत आत्माओं वाले लोग हैं। उन्होंने पूछा, 'हम किस तरह के लोग हैं यदि हजारों नागरिकों और सैनिकों की मौत के दर्द को महसूस नहीं करते हैं, जो पाकिस्तान में उग्रवाद, नफरत और हिंसा की आग से भस्म हो गए हैं?'
उन्होंने पूछा कि क्या पाकिस्तान की सत्ता संविधान के आर्टिकल 247 और 25 सह-सम्मिलित करने का कदम उठाएगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी नागरिकों को बराबर माना जाता है। उन्होंने यह कहते हुए अपने लेख को खत्म किया कि 'नागरिकों के अधिकारों और उनके हितों के साथ हमारे राष्ट्रीय हित को पुनर्मिलित करने की जरूरत है।