चिनाब की बिजली परियोजनाओं पर पाकिस्तान की आपत्ति खारिज
सिंधु जल समझौते पर पाकिस्तानी आयुक्त सैयद मेहर अली शाह ने कोई जानकारी या बयान देने से इन्कार कर दिया।
लाहौर [प्रेट्र]। चिनाब नदी पर बन रही दो पनबिजली परियोजनाओं पर पाकिस्तान की आपत्ति को भारत ने खारिज कर दिया है। भारत का यह रुख गुरुवार को दोनों देशों के उच्च अधिकारियों की सिंधु जल समझौते पर आयोजित बैठक में सामने आया। इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली वार्ता थी।
बैठक के बाद सिंधु जल समझौते पर पाकिस्तानी आयुक्त सैयद मेहर अली शाह ने कोई जानकारी या बयान देने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा, यह संवेदनशील मसला है। सरकार की ओर से इस पर कुछ न बोलने का निर्देश है। विदेश विभाग ही इस पर कोई बयान जारी करेगा।
पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में शामिल एक अन्य अधिकारी ने बताया कि एक हजार मेगावाट वाले पाकल डल डैम और 48 मेगावाट वाले लोअर कालनाल पनबिजली परियोजना पर पाकिस्तान की आपत्ति को भारत ने खारिज कर दिया है। भारत ने साफ कर दिया है कि दोनों परियोजनाओं पर वह कार्य जारी रखेगा। पाकिस्तान इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठा सकता है। इस समझौते में विश्व बैंक भारत और पाकिस्तान के अतिरिक्त तीसरा पक्ष है।
बैठक में पाकिस्तानी अधिकारियों ने पाकल डल डैम की ऊंचाई पांच मीटर कम करने के लिए कहा लेकिन भारतीय अधिकारियों ने उसे मानने से इन्कार कर दिया। जबकि लोअर कालनाल प्रोजेक्ट को लेकर पाकिस्तानी अधिकारियों ने कुछ तकनीक आधारित चिंताएं व्यक्त की थीं। भारतीय अधिकारियों ने कहा, उन पर पहले ही स्थिति स्पष्ट की जा चुकी है। समझौते पर भारतीय आयुक्त पीके सक्सेना के नेतृत्व में अधिकारियों के नौ सदस्यीय दल ने बैठक में हिस्सा लिया।
करतारपुर साहिब का रास्ता खोल सकता है पाकिस्तान
इस्लामाबाद। शीर्ष स्तर पर भारत के साथ हुए हाल के संदेशों के आदान-प्रदान के बाद पाकिस्तान दोनों देशों के संबंध सामान्य करने के लिए कुछ कदम उठा सकता है। इसके लिए सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर साहिब से लगने वाली पाकिस्तानी सीमा को खोला जा सकता है। इस रास्ते भारतीय यात्री ननकाना साहिब जा सकेंगे।
प्रेस से बात करते हुए पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता मुहम्मद फैसल ने इस आशय के संकेत दिए। सिखों के तीर्थस्थल करतारपुर साहिब पाकिस्तान में हैं, यह इलाका भारत के पंजाब प्रदेश के गुरदासपुर जिले से नजदीक पड़ता है। यहां पर सिखों के पहले गुरु नानक ने अंतिम सांस ली थी। 2019 में उनकी 550 वीं जयंती मनाई जा रही है।