एससीओ की बैठक में शिरकत करने पाकिस्तान पहुंचा भारत
एससीओ में चीन, भारत, पाक, रूस, कजाकिस्तान, किरगिस्तान, तजाकिस्तान के अलावा उजबेकिस्तान भी शामिल हैं।
इस्लामाबाद, प्रेट्र। 2016 में सार्क देशों की बैठक की मेजबानी पाक के पास गई तो भारत ने यह कहकर इसका बहिष्कार किया था कि वह ऐसे देश में नहीं जाएगा, जो उसके यहां आतंकवाद को प्रायोजित कर रहा है। अलबत्ता बुधवार को भारत ने अपने स्टैंड में बदलाव लाते हुए एससीओ की एंटी टेररिस्ट स्ट्रक्चर (रेट्स) की बैठक में हिस्सा लिया। एससीओ में चीन, भारत, पाक, रूस, कजाकिस्तान, किरगिस्तान, तजाकिस्तान के अलावा उजबेकिस्तान भी शामिल हैं। बुधवार को कानूनी विशेषज्ञों की बैठक हुई थी।
पाक की विदेश सचिव तहमानिया जंजुआ ने कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म या देश के साथ जोड़ना गलत है। जंजुआ ने कहा कि पाक ने इस लड़ाई में अपना बहुत कुछ खोया है। 120 अरब डॉलर की संपत्ति के नुकसान के साथ आतंक से लड़ाई में पाक के हजारों लोगों ने कुर्बानी दी है, लेकिन उनके देश की प्रतिबद्धता लड़ाई के इस मोर्चे पर कम नहीं हुई है।
भारत और पाक के प्रवेश से बढ़ी एससीओ की ताकत: चिनफिंग
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा है कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत व पाक के प्रवेश से इसकी क्षमता व ताकत में इजाफा हुआ है। उनका कहना था कि क्षेत्रीय सुरक्षा व स्थायित्व इस संगठन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शुमार है।
सुरक्षा परिषद सचिवों की 13वीं बैठक में मंगलवार को वह एससीओ के बारे में बता रहे थे। उनका कहना था कि सदस्य देश तीन बुरी ताकतों आतंकवाद, अलगाववाद व अतिवाद का डटकर मुकाबला कर रहे हैं। क्षेत्रीय सुरक्षा, विकास व समृद्धि को हासिल करने के लिए लगातार काम किया जा रहा है। ध्यान रहे कि एससीओ की बैठक 9 व 10 जून को चीन में होने जा रही है। पीएम नरेंद्र मोदी के भी इसमें भाग लेने की संभावना है। उससे पहले सुरक्षा अधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी। भारत से उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राजेंद्र खन्ना ने भाग लिया तो पाक की अगुआई राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासेर खान जंजुआ ने की थी। जून की बैठक की अहमियत इस वजह से भी है, क्योंकि भारत व पाक के शामिल होने के बाद यह पहला आयोजन है।